13 मई 2021, मुंबई
होगा भारत और अधिक “आत्मनिर्भर”...
“सर्वं परवशं दु:खं सर्वमात्मवशं सुखम् एतद्विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदु:खयो:”
दुसरोंपे निर्भर रहना सर्वथा दुखका कारण होता है।आत्मनिर्भर होना सर्वथा सुखका कारण होता है।
सारांश - सुख–दु:ख के ये कारण ध्यान मे रखें.
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते दुनिया एक तरह से बंद हो गई थी. दुनिया की फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन पर संदेह की निगाहें टिकी हुई थी.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत 12 मई 2020 को हुई थी. इस अभियान का लक्ष्य भारत को चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने, कृषि जैसे क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है. जिससे भारत न सिर्फ विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन सके बल्कि बड़े स्तर पर निर्यात भी करने में सक्षम हो.
अभियान के तहत,20 लाख करोड़ रुपये का व्यापक आर्थिक पैकेज (भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10%) की घोषणा की गई थी. आत्मनिर्भर भारत अभियान निम्नलिखित 5 स्तंभों पर आधारित है.
- अर्थव्यवस्था
- इंफ्रास्ट्रक्चर
- सिस्टम / प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली
- वाइब्रेंट डेमोग्राफी
- मांग / डिमांड
आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0 की सफलता के बाद भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान 2.0 तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 लॉन्च किए गए. यह अभियान अब एक वटवृक्ष बनता जा रहा है. इसके अंतर्गत 200 से अधिक मंत्रालय, संस्थाएं और समितियों द्वारा 200 से अधिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
अब तक घोषित प्रोत्साहन का सारांश
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज -
1,92,800 करोड़ रुपए
- आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0 -
11,02,650 करोड़ रुपए
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज अन्न योजना - 82,911 करोड़ रुपए
- आत्मनिर्भर भारत अभियान 2.0 -
73,000 करोड़ रुपए
- आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 -
2,65,080 करोड़ रुपए
- RBI
Measures - 12,71,200 करोड़ रुपए
- कुल 29,87,641 करोड़ रुपए
तीसरी फेस के अंतर्गत 12 नई योजनाएं आरंभ की गई है. जिसके माध्यम से देश की इकोनॉमी आगे बढ़ेगी. आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 के अंतर्गत लांच की गई मुख्य योजनाएं -
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
· इसे 30 जून 2021 तक चलाया जाएगा. इस योजना के अंतर्गत जो संस्थाएं ईपीएफओ के अंतर्गत रजिस्टर्ड है वह सभी संस्थाएं जिसमें 1000 से कम कर्मचारी हैं कर्मचारी के हिस्से का 12% तथा नौकरी देने वाले का भी 12% कुल मिलाकर 24% केंद्र सरकार योगदान देगी.
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जिस संस्था में 1000 से ज्यादा कर्मचारी हैं वहां केंद्र सरकार कर्मचारियों के हिस्से का 12% योगदान देगी.
· यह योजना 2 वर्ष तक जारी रहेगी.
आत्मनिर्भर मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम
· उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI Scheme) का आरंभ किया गया है. इस योजना के अंतर्गत घरेलू निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा. जिससे कि देश में निर्यात बड़े तथा आयात कम हो.
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इस योजना के अंतर्गत अगले 5 साल के लिए दो लाख करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है. आत्मनिर्भर मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम में 12 सेक्टर जोड़े गए हैं. जिससे कि इकोनामी आगे बढ़ेगी.
o
एडवांस केमिकल सेल बैटरी,
o
इलेक्ट्रॉनिक एंड टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स,
o
ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स,
o
फार्मास्यूटिकल ड्रग्स,
o
टेलीकॉम एंड नेटवर्किंग प्रोडक्ट,
o
टेक्सटाइल उत्पादन,
o
फूड प्रोडक्ट,
o
सोलर पीवी माड्यूल,
o
व्हाइट गुड्स तथा
o
स्पेशलिटी स्टील
इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम
· इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को 31 मार्च 2021 तक के लिए एक्सटेंड कर दिया गया था. इस योजना के अंतर्गत कॉलेटरल फ्री लोन प्रदान किया जा रहा था.
· अब तक इस योजना के अंतर्गत 2.05 लाख करोड़ रूपए 61 लाख लोगों को प्रदान किए गए हैं. कामत कमेटी द्वारा 26 स्ट्रेस्ड सेक्टर को भी इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
· प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 18000 करोड रुपए का अतिरिक्त योगदान करने का निर्णय लिया गया है. यह 18000 करोड रुपए 2020-21 के 8000 करोड़ के बजट से अलग होंगे.
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इस योजना के अंतर्गत 1200000 घरों को स्थापित किया जाएगा तथा 1800000 घरों को पूरा किया जाएगा.
· इस योजना के माध्यम से 78 लाख से ज्यादा नौकरी के अवसर उत्पन्न होंगे तथा 25 लाख मैट्रिक टन स्टील और 131 लाख मैट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा.
कंस्ट्रक्शन तथा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को सहायता
· सरकार द्वारा परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5 से 10% से घटाकर 3% कर दिया गया
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इससे कंस्ट्रक्शन तथा इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों के पास काम करने के लिए कैपिटल अधिक होगा.
· अब टेंडर भरने के लिए ईएमडी की जरूरत नहीं होगी. इसकी जगह बिड सिक्योरिटी डिक्लेरेशन की जाएगी. यह सुविधा 31 दिसंबर 2021 तक प्रदान की जाएगी.
· घर बनाने वाले तथा घर खरीदने वालों के लिए इनकम टैक्स रिलीफ सेक्शन 43का के अंतर्गत डिफरेंशियल को 10% से बढ़ाकर 20% तक कर दिया गया है. यह बदलाव 30 जून 2021 तक के लिए पहली बार बेचे जाने वाले वाले घर जिनकी वैल्यू दो करोड़ रुपए तक है सिर्फ उनके लिए हैं.
‘आत्मनिर्भर” भारत अभियान संक्षेप में
· हाउसिंग फॉर ऑल (शहरी)- 18000 करोड़
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बूस्ट फॉर रूरल एंप्लॉयमेंट - 10000 करोड़
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R&D ग्रांट फॉर COVID सुरक्षा-इंडियन वैक्सीन डेवलपमेंट- 900 करोड़
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इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल इंसेंटिव एंड डोमेस्टिक डिफेंस इक्विपमेंट - 10200 करोड़
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बूस्ट फॉर प्रोजेक्ट एक्सपोर्ट- 3000 करोड़
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बूस्ट फॉर आत्मनिर्भर मैन्युफैक्चरिंग - 1,45,980 करोड
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सपोर्ट फॉर एग्रीकल्चर- 65000 करोड़
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बूस्ट फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर - 6000 करोड़
· आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना - 6000 करोड़
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कुल
- 2,65,080 करोड
आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0 के अंतर्गत लांच की गई योजनाएं
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वन नेशन वन राशन कार्ड: इस योजना को 1 सितंबर 2020 से लॉन्च किया गया था. इसके अंतर्गत पूरे भारत में एक ही राशन कार्ड से राशन की किसी भी दुकान से राशन खरीदा जा सकता है.
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अब तक 28 राज्य तथा यूनियन टेरिटरीज में वन नेशन वन राशन कार्ड को लागू कर दिया गया है.
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पीएम स्वनिधि योजना: 13.78 लाख लोंस स्ट्रीट वेंडर को वितरित किए गए हैं. जो कि 1373.33 करोड़ रुपए के हैं. यह लोग 30 राज्यों में तथा 6 यूनियन टेरिटरीज में वितरित किए गए हैं.
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किसान क्रेडिट कार्ड योजना: अब तक 157.44 लाख किसानों को 1,43,262 करोड़ रुपए का लोन प्रदान किया गया है.
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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अब तक 1681.32 करोड रुपए का लोन वितरित किया गया है.
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नाबार्ड के माध्यम से इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंडिंग किसानों के लिए: इस योजना के अंतर्गत 25000 करोड रुपए अब तक किसानों के खाते में वितरित किए जा चुके हैं.
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इसीएलजीएस1.0: इस योजना के अंतर्गत अब तक 2.05 लाख करोड़ रुपए, 61 लाख लोगों को सैंक्शन किए जा चुके हैं. जिसमें से 1.52 लाख करोड़ पर अब तक वितरित किए जा चुके हैं.
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पार्शियल क्रेडिट गारंटी स्कीम 2.0: इस योजना के अंतर्गत अब तक पब्लिक सेक्टर बैंक ने पोर्टफोलियो की खरीद के लिए 26,899 करोड रुपए अप्रूव कर दिए हैं.
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स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम फॉर एनबीएफसी/एचएफसी: इस योजना के अंतर्गत अब तक 7227 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.
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लिक्विडिटी इंजेक्शन फॉर डिस्कॉम्स: इस योजना के अंतर्गत अब तक 118273 करोड रुपए का लोन सैंक्शन किया जा चुका है. जिसमें से 31136 करोड़ रुपए का लोन वितरित किया जा चुका है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान 2.0 के अंतर्गत लांच की गई योजनाएं
· फेस्टिवल एडवांस: फेस्टिवल एडवांस स्कीम के अंतर्गत एसबीआई उत्सव कार्ड सभी लाभार्थियों को दिए जा चुके हैं.
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एलटीसी कैश वाउचर स्कीम: एलटीसी कैश वाउचर स्कीम आत्मनिर्भर भारत अभियान 2.0 में लांच की गई थी. इस योजना की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार आया है.
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मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट तथा मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस को 25000 करोड रुपए एडिशनल कैपिटल एक्सपेंडिचर के तौर पर प्रदान किए गए हैं.
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देश के 11 राज्यों को कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 3621 करोड़ रुपए का लोन प्रदान किया गया है.
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आत्मनिर्भर भारत अभियान के लाभार्थी
o किसान
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गरीब नागरिक
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काश्तगार
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प्रवासी मजदुर
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कुटीर उद्योग में काम करने वाले नागरिक
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लघु उद्योग
o
मध्यमवर्गीय उद्योग
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मछुआरे
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पशुपालक
o
संगठित क्षेत्र व् असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति
प्रभावशाली साबित होगा ..
यह अभियान न केवल घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने और घरेलू मुद्रा के बढ़ते मूल्य के बारे में है, बल्कि भारतीय ब्रांडों की वास्तविक क्षमता को समझने और उन्हें वैश्विक बनाने के बारे में भी है. इसने लघु उद्योगों और एमएसएमई को अपने लिए बेहतर बाजार बनाने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए नए सिरे से प्रेरणा और प्रोत्साहन दिया है.
भारत आज एक ऐसी स्थिति से संक्रमण कर रहा है, जहां उसने उदारीकरण और वैश्वीकरण के दरवाजे खोल दिए, जहां उसे खुद को प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र, आत्मनिर्भर देश बनने के लिए युद्ध और महामारी का सामना करना पड़ रहा है. कोई इसे चीन को बंद करने और भारत के साथ बदलने के लिए एक क्रूड रणनीति के रूप में नहीं देख सकता है. यह भारत को समान रूप से आकर्षक बनाने के लिए, दुनिया को हमारे देश में नियामक स्थिरता में विश्वास करने और राष्ट्र को पुनर्जीवित करने के लिए और वास्तव में इसे विश्व मानचित्र पर लाने के लिए एक रणनीति है.
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI)..
सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और एक ग्लोबल हब बनाने के लिए कंपनियों को भारत में प्रोडक्टशन के लिए आकर्षित करना चाहती है. इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) शुरू की. इसके तहत सरकार अगले पांच साल में देश में प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों को 1.46 लाख करोड़ रुपये का इंसेंटिव देगी. देश के भीतर उत्पादन होने से आयात खर्च कम होगा.
· देश में जब सामान बनेगा तो रोजगार के भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
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इस स्कीम के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने के साथ—साथ घरेलू कंपनियों को प्लांट लगाने या एक्सपेंशन में प्रोत्साहन दिया जाएगा.
· पीएलआई योजना शुरुआत में 5 साल के लिए है. इसमें कंपनियों को कैश इंसेंटिव मिलेगा.
टेलिकॉम
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12,195 करोड़ रुपये की टेलिकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई
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सरकार का आकलन है कि अगले पांच साल में इस स्कीम से 2,44,200 करोड़ रुपये के टेलिकॉम इक्विपमेंट प्रोडक्टशन होगा.
आईटी हार्डवेयर
· करीब 7,350 करोड़ रुपये की पीएलआई जो लैपटॉप, टैबलेट, ऑल इन वन पीसी और सर्वर को कवर करेगी.
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7,350 करोड़ रुपये के प्रोत्साहनों को भारत में इन प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए अगले चार सालों के दौरान उपलब्ध कराया जाएगा.
· चार साल की समयसीमा में 3.26 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 2.45 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है.
इलेक्ट्रिक इकोनॉमी
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बैट्री उत्पादन के लिए PLI स्कीम
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भारत सरकार ने 2030 तक देश को 100% ई-मोबिलिटी वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है.
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इसकी एक बड़ी वजह ईंधन के रूप में बिजली के उपयोग को बढ़ावा देना भी है. इसलिए सरकार का फोकस ई-वाहनों के साथ-साथ घरों में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भी है.
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इसके लिए देश में नई और एडवांस तरह की बैट्रियों की जरूरत है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए 18,100 करोड़ रुपये की PLI योजना
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भारी उद्योग मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम’ (National
Programme on Advanced Chemistry Cell (ACC) Battery Storage) योजना के तहत 50 गीगावॉट आवर्स की एसीसी बैटरी और 5 गीगावॉट आवर्स की niche एसीसी बैट्री निर्माण क्षमता खड़ी करने का लक्ष्य है. गीगावॉट आवर्स का मतलब एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा का निर्माण करना होता है.
क्या होती है एसीसी?
एसीसी आधुनिक और नई पीढ़ी की एडवांस बिजली स्टोरेज टेक्नोलॉजी है.
· इसमें बिजली को इलेक्ट्रो-केमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित कर लिया जाता है और जब जरूरत पड़े तो फिर से बिजली में बदला जा सकता है.
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ई-वाहनों के साथ-साथ उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में बैट्री की आवश्यकता होती है.
· आने वाले समय में इस उपभोक्ता सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है.
एयर कंडीशनर और एलईडी
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एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट के लिये 6,238 करोड़ रुपये PLI योजना.
सोलर फोटो वोल्टेइक
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राष्ट्रीय “उच्च दक्षता सोलर फोटो वोल्टेइक-पीवी मॉड्यूल” से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की घरेलू क्षमता बढ़ेगी और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को एक केंद्र के रूप में स्थापित करेगी.
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इस योजना के लिए 4500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. सरकार के मुताबिक इस योजना से विद्युत जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में आयात पर निर्भरता घटेगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को समर्थन भी मिलेगा.
· इससे विदेशी कंपनियां भी भारत में आने के लिए प्रोत्साहित होंगी और भारत सोलर उपकरण के निर्माण में आत्मनिर्भर बनेगा. साथ ही बिजली की कीमतें कम होंगी. गोयल ने बताया कि इस योजना से 30 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व 1.10 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. (पढ़िए "सौर का है दौर").
फार्मास्युटिकल
फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए भी प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) स्कीम है. यह स्कीम वित्त वर्ष 2020-21 से 2028-29 की अवधि के लिए है. स्कीम से घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को फायदा होगा, नौकरी के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी और इससे ग्राहकों के लिए किफायती दवाइयों की उपलब्धता में भी योगदान मिलेगा.
केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तीसरे चरण के तहत कोविड सुरक्षा मिशन शुरू करने जा रही है. इस मिशन के तहत कोवाक्सिन टीके की वर्तमान उत्पादन क्षमता मई-जून 2021 तक दोगुनी हो जाएगी. मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तीसरे चरण के मिशन के तहत टीके का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. यह जुलाई-अगस्त 2021 तक लगभग 6-7 गुना बढ़ जाएगा. इसके सितंबर 2021 तक प्रति माह लगभग 10 करोड़ खुराक तक के लक्ष्य पर पहुंचने की उम्मीद है.
मिल का पत्थर साबित हो सकती है PLI..
आत्मनिर्भर भारत के लिये "पीएलआई (PLI)योजना" एक केंद्रीय बिंदु है. PLI Yojana 2021 का आरंभ 11 नवंबर 2020 को किया गया था , इस के माध्यम से घरेलू विनिर्माण की बढ़ोतरी होगी तथा आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात बढ़ेगी. जिससे कि इक्नॉमी बेहतर होगी. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के माध्यम से बेरोजगारी दर में भी गिरावट आएगी. सरकार द्वारा यह जानकारी दी गई है कि इस योजना पर 2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इस योजना के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा तथा उत्पादन को बढ़ोतरी मिलेगी. इस योजना के अंतर्गत 25 फ़ीसदी कॉरपोरेट टैक्स रेट में भी कटौती की जाएगी.
भारत सरकार ने दस ऐसे सेक्टर चुनें, जो ग्लोबल सप्लाई चेन में अपना योगदान दे सकें. इतना बड़ा प्रोजेक्ट शायद पहली बार लाया गया है. इससे कम से कम 1 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करने के अवसर मिलेंगे. इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग उद्योग को बड़ा उछाल मिलेगा.
भारत ने पिछले 5 वर्षों में 2 ट्रिलियन डॉलर या 1.5 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में किया है. 13 सेक्टर में पीएलआई स्कीम 35 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी.
इस योजना के माध्यम से भारत को एशिया का वैकल्पिक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाया जा सकेगा.इस योजना के अंतर्गत आने वाले सेक्टरों को आगे बढ़ाने के लिए धन राशि प्रदान की जाएगी. PLI Yojana 2020 के अंतर्गत चरणबद्ध निर्माण योजना से भी सहारा लिया जाएगा.इस योजना के अंतर्गत जीडीपी का 16 फ़ीसदी योगदान होगा.
कौनसे क्षेत्र में कितना PLI पैकेज??
· एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी- 18,100 करोड़ रुपये
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इलेक्ट्रॉनिक एंड टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट - 5000 करोड़ रुपये
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ऑटोमोबाइल और ऑटो कॉम्पोनेंट्स- 57,042 करोड़ रुपये
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फार्मास्यूटिकल ड्रग्स - 15000 करोड़ रुपये
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टेलीकॉम एंड नेटवर्किंग प्रोडक्ट- 12,195 करोड़ रुपये
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टेक्सटाइल उत्पाद- 10,683 करोड़ रुपये
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फूड प्रोडक्ट्स - 10,900 करोड़ रुपये
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सोलर पीवी माड्यूल - 4500 करोड़ रुपये
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व्हाइट गुड्स - 6,238 करोड़ रुपये
· स्पेशलिटी स्टील - 6,322 करोड़ रुपये
५०० बिलयन डॉलर की क्षमता
स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना अगले कुछ वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में $ 520 बिलियन जोड़ सकती है,योजना का हिस्सा, सरकार ने 1.96 लाख करोड़ या 26 अरब डॉलर का बजटीय परिव्यय बनाया है. यह योजना प्रोत्साहन के रूप में औसतन 5 प्रतिशत उत्पादन मूल्य प्रदान करने की अपेक्षा करती है.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के एक अनुमान के मुताबिक सरकार को पीएलआई स्कीम से अगले 5 सालों में 35 से 40 लाख रुपए की अतिरिक्त कमाई हो सकती है. सरकार ने पीएलआई स्कीम का ऐलान पिछले साल चीन को टक्कर देने के लिए था. इसके बाद एपल समेत कई कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस बढ़ाने को लेकर कदम बढाया है.
क्रिसिल के उम्मीद के मुताबिक इस कदम से देश में निवेश बढेगा जिससे सरकार की आमदनी भी बढेगी. माना जा रहा है कि अगले 24 से 30 महीने के अंदर कंपनियां अपना उत्पादन करना शरू कर देंगी. जिससे 2. 2.7 लाख करोड़ का नया निवेश आने की उम्मीद जताई जा रही है.
बैंकिंग सेक्टर को होगा फायदा
पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियां क्रेडिट बैकों से लेंगी जिससे बैंकिंग सेक्टर की क्रेडिट डिमांड 500 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ सकता है. इसका फायदा इकोनॉमी को मिलेगा. बैकों के पास ज्यादा डिमांड आने के कारण मार्केट में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा. क्रिसिल का मानना है कि PLI स्कीम 2021-22 में इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में इंडस्ट्रियल इनवेस्टमेंट में कामकाजी पूंजी के 45-50% तक बढ़ने की संभावना है.
क्या है बैंकिंग क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने का मतलब
किसी भी देश की बैंकिंग क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने का मतलब होता है कि बैकों की ओर से कारोबारियों को दिया जाने वाला लोन आम लोगों के लोन से ज्यादा है. क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने का मतलब है कि इकोनॉमी में ज्यादा पैसा मार्केट में फ्लो हो रहा है. जब भी किसी देश में इंडस्ट्रियल ग्रोथ बढ़ता है तो वहां के बैकों का क्रेडिट ग्रोथ में तेजी दर्ज की जाती है.
"वोकल फॉर लोकल"...
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने के लिए 'वोकल फ़ॉर लोकल' का मंत्र दिया. भारतवासियों के लिए भी स्वावलम्बन की मुराद उतनी ही पुरानी है, जितना पुराना हमारा आधुनिक इतिहास है, लेकिन अब से पहले देश के शीर्ष स्तर से भारत की आत्मनिर्भरता को राष्ट्रीय मुहिम बनाने की पेशकश पहले कभी नहीं हुई. इसीलिए आत्मनिर्भरता के मंत्र का महत्व "वोकल फ़ॉर लोकल" के नारे के साथ बेहद बढ़ जाता है.
सफलताए आशा देती है..
भारत में आत्मनिर्भरता की सफलताए अनेक है.
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आज देश PPE कीटस , N95 मास्क, वेंटीलेटर, टेस्टिंग कीटस की पर्याप्त मात्रा में निर्माण हो रहा है, कुछ तो एक्सपोर्ट भी हो रहे है. एक साल पहले इनका निर्माण लगभग शून्य के बराबर था.
· दो भारतीय कम्पनिया कोरोना का टिका बना रही है, आनेवाले दिनों
में इनकी संख्या पांच से सात होगी . क्या यह आत्मनिर्भरता नहीं है ? (पढ़िए
" यह टिका है उम्मीद का "')
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दो कोविड टीकों को विकसित करने में हमारे वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की हालिया सफलता आत्मान-निर्भार भारत अभियान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है जो वैश्विक कल्याण की भावना से प्रेरित है.
· हाल ही में ड्रग्स कंट्रोलर ने डीआरडीओ की बनाई कोरोना की दवा के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दे दी है. ये दवा अब तक हुए क्लीनिकल ट्रायल्स में सफल साबित हुई है.
·भारत ने अब 24 प्रमुख क्षेत्रों में खिलौना उद्योग को स्थान दिया है और राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना भी तैयार की गई है, जिसमें 15 मंत्रालय और विभाग शामिल हैं, जिनका उद्देश्य उद्योग को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाना है और बाद में भारत के खिलौने दुनिया में निर्यात किए जाएन्गे
संभावनाए भी अनेक है..
· अभी जितनी ताक़त हमें अपनी सप्लाई चेन और स्टोरेज जैसी आधारभूत सुविधाओं को मज़बूत बनाने पर लगानी है, उतना ही ज़ोर अर्थव्यवस्था में माँग-पक्ष को मज़बूत करने, इसमें तेज़ी लाने के उपाय अपनाने पर भी रखना होगा. ऐसा करके ही उत्तम क्वालिटी के उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचने के बाद भी ख़पत और उचित मूल्य के लिए नहीं तरसना पड़ेगा.
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बाज़ार में माँग की कमी का सबसे भारी नुकसान किसानों को होता है क्योंकि उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था तो आज भी सिर्फ़ सीमित अनाजों के मामले में ही है.
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भारत में हस्तशिल्प और आयुर्वेदिक उत्पादों की अपार सम्भावना है. इस सेक्टर के उत्पादों को भी उम्दा क्वालिटी, ब्रॉन्डिंग और मार्केटिंग की चुनौती से उबरना पड़ेगा.
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कृषि क्षेत्र भारत का सबसे परम्परागत और बुनियादी क्षेत्र है. इसकी उत्पादकता और अर्थव्यवस्था में इसका योगदान सबसे कम है, हालाँकि इस पर बहुत बड़ी आबादी आश्रित है.
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कृषि से जुड़ी हमारी आबादी का अनुपात भी तभी घट पाएगा जबकि अर्थव्यवस्था के बाक़ी क्षेत्रों जैसे औद्योगिक सेक्टर, सर्विस सेक्टर और आधारभूत सेक्टर के पहिये भी तेज़ी से घूम रहे हों और इनकी भी माँग में लगातार वृद्धि होती रहे.
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इसीलिए 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में ऐसे कई विश्वस्तरीय उत्पादों का होना बहुत ज़रूरी है जिसे हमसे ख़रीदने के लिए दुनिया मज़बूर हो.
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शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भी हमें विश्वस्तरीय मानकों पर और तेज़ी से अपने पंख फैलाने होंगे.
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हालाँकि, कुछेक क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ हमारे शोध और अनुसंधान ने उम्दा क्वालिटी का प्रदर्शन किया है. जैसे, स्पेस टेक्नोलॉज़ी में इसरो ने शानदार उपलब्धियाँ हासिल की हैं.
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परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी उपलब्धि गर्व करने लायक रही है.
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ये उपलब्धियाँ शिक्षा की क्वालिटी से सीधे जुड़ी हुई हैं. इसीलिए आबादी के अनुपात में हमें उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थानों की संख्या को बहुत बढ़ाना आवश्यक हैं.
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चिकित्सा के क्षेत्र में भी हम ज़्यादातर उच्च तकनीक वाले उपकरणों के लिए आयात पर ही निर्भर हैं.
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उदारीकरण की नीतियाँ अपनाने बाद भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर भले ही आत्मनिर्भर दिखने लगा लेकिन इस सेक्टर की भी ज़्यादातर कम्पनियाँ बुनियादी तौर पर विदेशी ही हैं.
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रक्षा और संचार जैसे बड़े सेक्टरों में भी हमारी आयात पर ही अतिशय निर्भरता है. इन्हीं क्षेत्रों को आत्मनिर्भरता और वोकल फ़ॉर लोकल की सबसे ज़्यादा आवश्यकता है.
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यही हाल, फ़ार्मा सेक्टर का भी है. दवाईयों का भारत उत्पादक तो बहुत बड़ा है लेकिन इसके कच्चे माल (API-Active
Pharmaceutical Ingredient) का हमें भारी पैमाने पर आयात ही करना पड़ता है.
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केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का नया नारा बुलंद किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने 101 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया है.
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इस सूची में आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफ़ल्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट, रडार और दूसरी चीज़ें शामिल हैं.
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भारत सैन्य क्षेत्र में सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश हैं. अमरीका इस सूची में पहले नंबर पर है और चीन दूसरे नंबर पर. भारत ने साल 2019 में डिफेंस क्षेत्र में 71 बिलियन डॉलर का ख़र्च किया था, जो साल 2018 के मुक़बले 6.9 फ़ीसदी ज़्यादा है. भारत का रक्षा ख़र्च इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि पाकिस्तान और चीन के साथ सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण है.
इसलिए, इस क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों के पास अपार सम्भावना है. स्पष्ट है कि भारत को यदि वास्तव में आत्मनिर्भर बनकर दिखाना है, वोकल फॉर लोकल मंत्र को साकार करना है तो हमें क्वालिटी की उपासना को अपना संस्कार बनाना ही होगा. भारतीय समाज के सम्पन्न वर्ग को क्वालिटी की सबसे ज़्यादा चाहत पैदा करनी होगी, क्योंकि किसी भी समाज को बदलने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी इसके सम्पन्न वर्ग पर ही होती है. सम्पन्न वर्ग को ही अपने आमदनी का वितरण इस तरह करना होगा कि उसके लिए काम करने वाले लोगों की आमदनी ज़्यादा से ज़्यादा हो सके.
अर्थव्यवस्था में आया सुधार..
कोरोना महामारी के प्रकोप से भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बाहर निकल रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था में वी आकार की रिकवरी देखने को मिली है. आर्थिक सर्वे में बताया गया कि कोविड-19 को देखते हुए समय पर लॉकडाउन लागू होने के चलते ही भारत की अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी दिखी है.
· सरकार की तरफ से जो उपाय किए गए, उसके बीच आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing PMI) अक्टूबर 2020 के 54.6 की तुलना में इस महीने कंपोजिट पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) नवंबर में 58.9 तक बढ़ाने में कारगर रहे.
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अप्रैल 2021 में पीएमआई 55.5 पर था, जो मार्च के 55.4 के मुकाबले थोड़ा अधिक है. पीएमआई में 50 से अधिक अंक का अर्थ कारोबारी गतिविधियों में बढ़ोतरी है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है.
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अप्रैल में लगातार आठवें महीने में नए एक्सपोर्ट ऑर्डर बढ़े हैं और यह बढ़ोतरी पिछले वर्ष अक्टूबर से सबसे तेज रफ्तार से हुई है. यह भारतीय सामान की विदेश में डिमांड बढ़ने से हुआ है.
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अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ के रिकॉर्ड पर पहुंच गया है. इससे पहले मार्च में सबसे अधिक जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 23000 करोड़ का रहा था. यह मंदी से बाहर निकल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और अच्छी खबर है. लगातार सातवें महीने जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये के पार रहा और महामारी के बाद लगातार पांचवी बार 1.1 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार किया, जो अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत है.
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जीएसटी लागू होने से अबतक अप्रैल 2021 में जीएसटी कलेक्शन सबसे अधिक है.
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पिछले छह महीनों से जीएसटी कलेक्शन में बढ़त के ट्रेंड के अनुरूप अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन मार्च की तुलना में 14% अधिक है. वहीं Domestic
Transaction से इस महीने मिला राजस्व (सेवाओं के आयात सहित) पिछले महीने से 21% अधिक है.
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वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी में 7.6 की भयानक गिरावट देखने को मिल चुकी है. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक ने 10.5 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद जाहिर की है.
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देश के निर्यात कारोबार में अप्रैल में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए माना जा रहा है कि इस साल 400 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
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वाणिज्य मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में भारत का निर्यात 197 प्रतिशत बढ़कर 30.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इन दिनों फार्मास्युटिकल्स, इंजीनियरिंग, ऑटो-कंपोनेंट, मत्स्य पालन और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की अपार संभावना हैं ऐसे में इन क्षेत्रों से जुड़े उद्यमियों को लाभ मिल सकता है.
सुनहरा मौका..
आत्मनिर्भर भारत अभियान भारतीय स्टार्ट-अप्स के लिए एक सुनहरा मौका
है. महामारी के दौरान भारत में स्टार्टअप की फौज तैयार हुई. सामान्य परिवार से आए युवा भी स्टार्टअप में कामयाब हुए. महिलाएं भी तेजी से इसमें भाग ले रही हैं. हर राज्य स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहे हैं. सभी क्षेत्रों का आधुनिकीकरण हो रहा है. भारत के 80 फीसदी जिले स्टार्टअप मूवमेंट से जुड़े. स्वास्थ्य और खान-पान में स्टार्टअप की अच्छी संभावना है.
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आज 41000 से ज्यादा स्टार्टअप्स हमारे देश में किसी न किसी अभियान में लगे हुए हैं. इनमें से 5700 से ज्यादा आईटी सेक्टर में हैं.
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3600 से ज्यादा हेल्थ सेक्टर में बनें हैं. 1700 स्टार्टअप्स एग्रीकल्चर सेक्टर में आये हैं.
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ट्वीटर के विकल्प में देसी एप “कू (Koo)” पर जनता के साथ संचार कर इसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकता हैं. इससे इस आत्मनिर्भर भारत एप को प्रोत्साहन मिल सकता है.
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“कू” पूरी तरह से भारत में ही संचालित है. सभी डेटा और संबंधित सर्वर भी भारत से ही चलाए जाते हैं. बता दें कि भारत सरकार और टि्वटर के बीच पिछले कई दिनों से टकराव चल रहा है.
आत्मनिर्भरता एक मानसिकता है..
आत्मनिर्भरता एक ऐसी मौलिक ताकत है, जो एक मजबूत एवं स्थायी राष्ट्र के लिए बहुत जरूरी है. हमें देश के राष्ट्रीय ताने-बाने को लचीला बनाना है, इसमें अलगाव की भावना नहीं होनी चाहिए और यही विश्व के लिए महत्वपूर्ण है, जो केवल देश के नागरिक वर्ग की प्रतिबद्धता से ही संभव है.”
"आत्मनिर्भर" बन गया ग्लोबल ..
कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार ‘आत्मनिर्भर’ शब्द पर जोर दिया. अब इस शब्द को ‘ऑक्सफोर्ड लैंग्विजेज’ ने अपने हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर 2020 के रूप में चुना है.
चलते चलते..
माना की कोरोना की दूसरी लहर काफी भयानक साबित हो रही है, लेकिन कुछ राज्यों मे परिस्थिती स्थिरता को ओर जा रही है. हालांकि जान है तो जहान है, इस हिसाब से जान माल पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है, लेकिन साथ में देश की अर्थव्यवस्था को दुर्लक्षित करना लंबे दौर में महंगा साबित हो सकता है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत दी जा रही PLI स्कीम देश मे मॅन्युफॅक्चरिंग को बढावा देने मे मददगार साबित हो सकती है. खासकर इलेक्ट्रॉनिक और सौर ऊर्जा क्षेत्र मे. इन दो क्षेत्रो मे शुरुआती निवेश ज्यादा हो सकता है लेकिन लंबे समय मे यह काफी फायदेमंद हो सकता है. खासकर सेमी कंडक्टर या इंटेग्रेटेड सर्किट / चीप मॅन्युफॅक्चरिंग. अगर हम ये भारत में बनाना शुरू करे तो हमारी डोमेस्टिक मॅन्युफॅक्चरिंग काफी सस्ती और सही रूप से आत्मनिर्भर हो जाएगी. फ़िलहाल मांग की लगभग 95% मात्रा हमे चीन या तैवान से आयात करना पडता है. यह सिर्फ महंगा ही नहीं बल्कि देश की रणनीति के बहुत जरूरी है. (पढ़िए "चिप एंड बेस्ट ")
किसी भी अभियान की सफलता आंकने के लिए एक साल बहुत ही कम समय है, इसलिए आशा करते हैं देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी के संकट से उबारने मे आत्मनिर्भर भारत अभियान एक अहम भूमिका निभाएगा.
कोरोना जैसी महामारी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सिर्फ पटरी पर से उतार ही नहीं सकती बल्कि उसे दो दशक पीछे भी ले जा सकती है. हमे इस विषय मे सोचना होगा और समय की मांग है कि, हम सभी इसी मानसिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चले. हमे आने वाले पीढ़ी के बारे मे जो
सोचना है.राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की माने तो हमे अपने अंदर का "राजपुरुष" जगाना होगा, और जो 'राजपुरुष"' हमें राह दिखा रहे है है उनके साथ अपना योगदान देना होगा.
"लगा राजनीतिज्ञ रहा, अगले चुनाव पर घात,
राजपुरूष सोचते किन्तु, अगली पीढी की बात ."
लोकल के लिए “वोकल” बनें.
समय की मांग है के हम और आप घर में ही रहे. खुश रहें. स्वस्थ रहे. अफवा ना फैलाए. अफवाओ से बचे. आपकी जान सबसे कीमती जो है. निकले जब भी बाहर, मास्क रखे नाक के ऊपर.
- धनंजय मधुकर देशमुख, मुंबई
(लेखक एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्च और बिज़नेस स्ट्रेटेजी एनालिस्ट है. इस पोस्ट मे दी गई कुछ जानकारी और इन्टरनेट से साभार इकठ्ठा किए गए है.)
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