21 जून 20 राजनीतिक / व्यावसायिक रोनेवालों.. इतना क्यों करते हो मोदी द्वेष? कभी झाक के देखा है अपने भेष? कहते हो लाल हरा है सब से चंगा कब पसंद करोगे अपना तिरंगा? राष्ट्रहित मे जो निभा रहे है अपना कर्म, उनको सीखा रहे हो राजधर्म? कभी याद करो अपने कर्म, कभी जाना है राष्ट्रधर्म ? नाना-दादी जापते रहे, देश का माल लूटते रहे, कभी बंजर जमीन कहकर, तो कभी मानवाधिकार के नाम पर ये दुश्मनों को मदत करते रहे, लेकिन जब जब दुश्मन पीटा गया, तो ये सबूत मांगते रहे.. कल बालाकोट, आज गलवान, दुश्मन हो गया परेशान.. माँभारती के सुपुत्र जीते, ये यहां रोए हैरान!! देश सुरक्षित रखने की प्रेरणा से वहाँ खडे है जांबाज, और देश के दुश्मनों से दोस्ती करते घूमते ये रंगबाज. कभी चीन, कभी पाकिस्तान, क्यों लगता है इनसे इतना याराना? भारत, भारतीयता क्या है जरूरी है इनको समझाना, ये भूले है, इन्हें वापिस हिन्दुस्तान है ले आना. प्रधान सेवक है वे एक सौ तीस कोट के, बना रहे है पथ सशक्त राष्ट्रनिर्माण के, मोदीजी तो महज एक बहाना है, इन्हें भारतमाता को निचा दिखाना है. इतना क्यों करते हो मोदी द्वेष, कभी तो ...
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