27 अप्रैल 2021, मुंबई देखो अपनी नजर से .. बचपन मे गांव मे एक सिनेमा दिखानेवाला आया कराता था . उसके पास एक बड़ा बक्सा हुआ करता था , उसमे तीन छेद हुआ करते थे जिसमें से एक वक़्त तीन लोग डिब्बे लाल - पीले रंग के चश्मे लगाकर बक्से के अंदर देख सकते थे . इसे बायोस्कोप कहा जाता है . सिनेमावाला , बक्से के अंदर एक फिल्म रोल लगाया करता था ( सिर्फ चित्र , आवाज नहीं ) और बक्से से लगा हॅन्डल घुमा कर उसे फिल्म को रोल किया करता था . कभी 25 पैसे , तो कभी 50 पैसे मे 10-15 मिनट का खेल देखने को मिला करता था . लब्बोलुबाब ये के , वो जो दिखाता था , जिस रंग का चश्मा पहना कर दिखाता था , लोग देखते थे , वो भी पैसे देकर , और खुश भी होते थे , आपस में चर्चा करते थे . अब लाल चश्मा तो नही लेकिन ... अब वक्त बदल गया है , अब वो बक्सेवाला सिनेमावाला तो कहीं दिखाई नहीं देता . लेकिन आज हमारे घरों में टेलीविजन सेट में , हमारे हाथो मे जो लैपटॉप , टॅब्लेट या मोबाइल फोन ...
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