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उत्तम ही नहीं, सफल भी .

अगस्त 20,मुंबई 
उत्तम ही नहीं, सफल भी.. .
5 अगस्त 2020 को लगभग पाच सदियों के संघर्ष को पूर्णविराम मिला. अवध नगरी अयोध्याजी मे, श्रीरामजन्मभूमी पर श्रीरामलला विराजमान के भव्य-दिव्य मंदिर का उत्साहपूर्ण वातावरण मे, साधु संतों की उपस्थिति में, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी के करकमलोंद्वारा शिलान्यास हुआ.

पूरे विश्व मे फैले रामभक्तों ने यह सुनहरा अवसर टीव्ही और इन्टरनेट के माध्यम से देखा, आनंदित हुए. सदियों की भावना का आदर होते देख, अपने भविष्य के बारे मे आश्वासित हुए, और नए भारत की पुनर्निमाण मे अपना योगदान देने के लिए तत्पर.

पूरे विश्व ने देखा होगा के, कैसे यह कार्यक्रम, शुरुआत से अंत तक कुशलता से ना सिर्फ संयोजित किया गया, बल्कि उसे उसे मूर्त रूप दिया गया. छोटी से छोटी चीजे, निमंत्रण, वक़्त की पाबंदी, सब का सन्मान, उत्साहपूर्ण वातावरण - इन सभी का विशेष ध्यान रखा गया. इसका यथोचित परिणाम दिखा, कार्यक्रम पूर्णरूप से यशस्वी हुआ. सफल हुआ. बारह बजकर चवालीस मिनट और आठ सेकंद से बारह बजकर चवालीस मिनट और चालीस सेकंद तक - बत्तीस सेकंद, भारतभर श्रीराम का जयघोष हुआ!!

वैश्विक कोरोना महामारी के पृष्ठभूमि पर इस कार्यक्रम को करने, या ना करने, या उसे कैसे किया जाए, प्रधानमंत्री जाए या ना जाए - इसपर काफी लोगो ने राय दी, माहौल खराब करने के लिए पूर्णरूप से प्रयत्न किए. कार्यक्रम ना हो इसके लिए कार्यरत थे. असफल हुए. विफलता से अब ये सेक्युलर ये  बिलबीलाने लगेंगे. खैर, यह विषय अलग है, इस पर फिर चर्चा कभी.

छह महीने पहले..
लखनऊ में 5 से 9 फरवरी तक डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया गया था. इसके उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया गया था. इस एक्सपो मे अमरिका, इंग्लैंड, रशिया, फ्रांस, ब्राजील, नॉर्वे समेत 70 से अधिक देश शामिल हुए.
  • डिफेंस एक्सपो-2020 में पहली बार 40 देशों के रक्षामंत्री, 70 देशों की सहभागिता, 3000 से अधिक विदेशी देश  के विभिन्न हिस्सों से 1000 से अधिक डेलीगेट्स आए.
  • 12 लाख से अधिक स्थानिक लोग यहां भारत के शौर्य, पराक्रम और गौरव को देख और महसूस कर चुके होंगे. उनके लिए यह हमेशा स्वर्णिम याद बनकर रहेगा.  
  • डिफेंस एक्सपो से उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर के लिए मजबूत आधार उपलब्ध हुआ 
  • इस आयोजन से लखनऊ को वैश्विक पहचान मिली. 
  • डिफेंस एक्सपो-2020 रक्षा क्षेत्र के निवेशकों का महाकुंभ साबित हुआ है.   
  • डिफेन्स के इस महाकुंभ मे उत्तर प्रदेश सरकार ने करीबन रू 50,000 करोड़ के 23 करार किए.
यूपी रक्षा उत्पादन के नए हब के रूप में विकसित होगा. प्रदेश की क्षमता पर अब  शायद ही किसी को प्रश्न हो!

सफलताए और भी है..
  • जनवरी में राष्ट्रीय युवा उत्सव का सफल आयोजन किया गया था. जिसमें देश भर से 7000 से अधिक युवा आए.
  • उसके बाद, जनवरी में ही कॉमन वेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन का सम्मेलन हुआ.
  • फिर मां गंगा को आस्था और अर्थव्यवस्था से जोड़कर गंगा यात्रा निकाली गई.
चुनौतीया बड़ी थी..
शिलान्यास, डिफेंस एक्सपो और युवा उत्सव जैसे बड़े और महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के सफल और शांतिपूर्ण तरह से आयोजन कराना एक बड़ी चुनौती था. लेकिन प्रशासनिक टीम और पुलिस के साथ सामंजस्य बना जिस से इन आयोजनों का यशस्वी संपन्न हुआ.

आदत सी हो गई है..
प्रदेश के लिए मेगाइवेंट का आयोजन यह कोई नई बात नहीं रही. पिछले तीन वर्षों में  प्रदेश मे अनेक सफल आयोजन हुए.
  • 2018 की इन्वेस्टर्स समिट से पहले लोगों में धारणा थी कि यहां निवेश कौन करेगा? लेकिन, समिट में करीब 5 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए. ढाई लाख करोड़ के प्रस्तावों को जमीन पर उतारा जा चुका है.
  • 2019 मे प्रयागराज कुंभ का अभूतपूर्व सफलतापूर्वक आयोजित कराया गया. इसमें 24.56 करोड़ लोग आए.
  • इसी साल हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 7500 से अधिक प्रवासी शामिल हुए.
कौन है इसका शिल्पकार?
पिछले तीन सालों मे उत्तर प्रदेश मे एक नई अनुभूति होती है. यूपी को अब कोई हल्के में नहीं ले सकता, लगातार इतिहास रचा जा रहा है. कानून व्यवस्था और अर्थव्यवस्था, दोनों को लेकर सामान्य जनता मे एक नया विश्वास नजर आता है.

कैसे हुआ यह बदलाव?
मार्च 2017 मे महंत योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश को नेतृत्व देने की जिम्मेदारी दी गई.
गोरखपुर के सांसद से वे मुख्यमंत्री बन गए. प्रदेश की जनता मे एक ओर हर्ष था, लेकिन साथ ही मे शंका भी थी - उद्योग, अर्थव्यवस्था, प्रशासनिक अधिकारियों को योगीजी कैसे संभालेंगे?

लेकिन, शायद योगिजी ने अपनी प्राथमिकता तय कर ली थी. पहले उन्होंने कानून व्यवस्था पर ध्यान दिया, उसके बाद उद्योग. और फिर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कैसे नया स्वरुप दिया जाए, नए और बड़े उद्योगों को कैसे आकर्षित किया जाए इस पर उन्होंने लक्ष्य केंद्रित किया.

बड़ा राज्य है... 
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, भारत की दूसरी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है.
  • 2016-17 मे जीएसडीपी रू 12.48 लाख करोड़ था.
  • पिछ्ले तीन वर्षो मे बढ़ कर - रू 13.75 लाख करोड़ (17-18) से और रू 15.80  लाख करोड़ (19-20) इतना हुआ.
  • इस वर्ष (20-21) यह रू 17.9 लाख करोड़ होने का अनुमान है.
  • पिछले पाच वर्षो की जीएसडीपी की औसतन सालाना दर लगभग 9.9% रही है.
खेती से हाईटेक डिफेन्स राज्य..
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है तथा लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित हैप्रदेश के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रदेश में लगभग 166 लाख हैक्टेयर (68.7%) क्षेत्र में खेती की जाती है.प्र देश में कुल रोजगार का 55-60% कृषि क्षेत्र से मिलता है.
  • उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है जो देश की आबादी का 16.4 प्रतिशत हिस्सा है.
  • यह देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है जो कि देश के भौगोलिक क्षेत्र का 9.0 प्रतिशत हिस्सा है.
  • उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे अधिक दूध का उत्पादन करने वाला प्रदेश है. देश के कुल दुग्ध उत्पादन में इस प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 16-17% है. वित्त वर्ष 2019 के दौरान
  • राज्य का दूध उत्पादन लगभग 30.5 मिलियन टन था
  • जरूरत है GCMMF (Amul) की तर्ज़ पर दूध और दुग्धजन्य उत्पादों की रेंज बढ़ाकर ब्रांडिंग, पॅकिंग कर के मुहैया करवाना.
एक ट्रिलियन डॉलर...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2025 तक पांच ट्रिलियन (50 खरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने में उत्तर प्रदेश जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य की अहम भूमिका होगी. प्रधानमंत्री ने इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर का आकार देने का आह्वान किया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि 2025 तक अपनी अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर का आकार देकर प्रधानमंत्री के सपने में उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाए.
  • वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार 0.23 ट्रिलियन डॉलर (15.8 लाख करोड़ रुपये) था.
  • पांच वर्षों में सूबे की अर्थव्यवस्था को पांच गुना आकार देने के लिए आर्थिक वृद्धि दर के साथ निवेश दर को भी तीव्र गति देनी होगी.
इतना भी नामुमकिन नहीं..
उत्तर प्रदेश में उद्योगों को बड़े पैमाने पर आकर्षित करना होगा. हालांकि जमीन और अन्य व्यवस्थाएं तो अच्छे तरीके से मुहैय्या हो जाएगी.चुनौती होगी उद्योगपतियों मे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर विश्वास निर्माण करना, और उनके उद्योगों के लिए उच्च शिक्षित मैनपावर तयार करना. मैनपावर के लिए अभी से ही राज्य की शिक्षणव्यवस्था को ज्यादा अच्छे और विश्वसनीय तरीके से कसना होगा, ताकि उनकी क्वालिटी और क्षमता पर उद्योगों का विश्वास बढ़े.

है नई सम्भावनाएं...
वैश्विक कोरोना महामारी के चलते विश्वभर उद्योगों मे एक हडकंप मच गया. विशेष रूप से, अमरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, इंग्लैंड और यूरोपियन यूनियन के कई देश अपने उद्योगों को चीन से हटाने की तैयारी कर रहे है. साथ ही, ये सभी देश, चीन से आने वाली महत्वपूर्ण आयात पर भी नकेल कसने की तैयारियां कर रहे हैं.

जापान और दक्षिण कोरिया ने तो उनके देश के उद्योगों को चीन से बाहर निकालने के लिए औपचारिक मदत भी जाहिर की है. कुछ उद्योग बाहर निकल भी रहे है या फिर उनकी नई फैक्ट्रीया भारत, वियतनाम, तैवान, थायलंड जैसे देशों मे लगाने की सोच रहे हैं.

इसके चलते कपड़ा, फुटवेअर, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, डिफेंस जैसे क्षेत्रों मे काफी नई सम्भावनाएं दिखती है.

शुरुआत हो चुकी है..
जर्मनी की फुट वेअर कंपनी कासा एवरेज ने अपनी चीन स्थित फैक्ट्री को भारत मे  लाने का घोषणा की. यह कंपनी रू 110 करोड़ का निवेश कर उत्तर प्रदेश में फैक्ट्री लगाएगी. सो, चीन छोड़ कर भारत आने वाली कंपनियों की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई.
  • छोटे, मझोले उद्योगों को आकर्षित करने के लिए छह एमएसएमई पार्क बनाए जा रहे है.
  • मेरठ और प्रयागराज को जोड़ने के लिए 600 किमी का गंगा एक्सप्रेस वे बनाने की योजना पर शुरू हुआ है. साथ ही उद्योगों को बढावा देने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
बड़े को और बड़ा और बेहतर बनाओ,.
नए छोटे और मझोले उद्योग का आना उत्साहवर्धक है (पढ़िए - छोटा पैकेट,बड़ा धमाका), लेकिन जरूरी है मेगा इन्डस्ट्रीज़ की - जो हज़ारों करोड़ की लागत कर के, उच्च दर्जे के रोज़गार निर्माण करेगी, साथ ही प्रदेश की महत्ता भी बढ़ाएगी. सेमीकंडक्टर, सोलर फोटोवोल्टेक सेल, स्टोरेज (इलेक्ट्रिक बाइक, कार, बस मे लगने वाली बॅटरी) ये मौके दे सकती है.

सेमीकंडक्टर है जरूरी..
सेमीकंडक्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) बनाने के लिए काम आता है. आज छोटी से वस्तू से लेकर टीव्ही, मोबाइल और राफ़ाल जहाज तक मे अनेक आईसी का उपयोग होता है. चीन पर अविश्वास बढ़ रहा है, इसके चलते ये जरूरी है कि मिशन क्रिटिकल और महत्वपूर्ण चीजों का उत्पादन अपने ही देश में हो. अमरिका और जापान इसी राह पर चल रहे है. (पढ़िए Chip and Best)
  • अमरिका ने तैवान की तैवान सेमी कंडक्टर मॅन्युफॅक्चरिंग कंपनि को अमरिका मे अमेरिकन डॉलर 12 बिलियन  का निवेश कर अमरिका मे ही सेमीकंडक्टर बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए करारबद्ध भी किया है.
  • जापान ने भी यह कदम उठाया है.
सोलर फोटोवोल्टेक सेल..
अगले पाच साल मे भारत मे 100 गीगा वाट की सौर ऊर्जा बनाने के लिए केंद्र सरकार प्रयत्नरत है. हालांकि देश मे सोलर पॅनल बनाने वाली कंपनी या तो कई है लेकिन सोलर फोटोवोल्टेक सेल बनाने वाली कंपनियां दो चार ही है. 32 गीगा वाट की क्षमता से हमे अगर तिगुना बढ़ना है तो जरूरी है कि देश में बड़े पैमाने पर सोलर फोटोवोल्टेक सेल बनाने वाली कंपनियां हो. (पढ़िए, सौर का है दौर).

मान्य है, इन उद्योगों में शुरुआती दौर में काफी बड़ा निवेश लगता है (कई हजार करोड़ का), लेकिन आज यह क्षमता भारत में है, जरुरत है, सिर्फ संजीदा उद्योगपतियों को इन उद्योगों में आने की मोहलत दे. अगर यह होता है, तो यह प्रयत्न भारत को अगले पाच सालों मे पूर्णरूप से आत्मनिर्भर मे अहम भूमिका निभाएंगे.

क्या करना जरूरी है?
पोषक वातावरण तो निर्माण करना ही होगा. साथही मे कल्पक और विश्वासर्ह तरीके से प्रदेश को राजनैतिक दृष्टि से स्थिर, सबल कानून व्यवस्था और सरकार का उद्योगों के प्रति सकारात्मक रवैया  विस्तृत रूप से प्रोजेक्ट करना होगा. हमे नामकरण के ऊपर उठना होगा (उत्तम प्रदेश इत्यादि), नए आयाम बनाने होंगे जिससे सफल उदाहरण उभरें (proof of work). जिम्मेदार और जवाबदेह तरीके प्रदेश को विदेशों मे पहुचाने के अविरत प्रयत्न करने होंगे.

राजनीती से ऊपर
डेढ़-दो साल बाद उत्तर प्रदेश मे चुनाव होने है. चुनावी मौसम में अर्थव्यवस्था के विषय अक्सर दरकिनार हो जाते है. लेकिन अगर प्रदेश का सकारात्मक विकास होना है तो यहा राजनैतिक रूप से स्थिर और निश्चायक नेतृत्व की जरूरत होगी. पिछले तीन सालों मे प्रदेश की जनता ने नयापन देखा है.

ब्रांड योगीजी..
अनुशासन, ठोस निर्णयक्षमता, कानून सुव्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगने वाला कर्मठ रवैय्या, भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद से परे रहनेवाली छवि, विकास और समाज मे समानता (तुष्टीकरण किए बिना) रखने की प्रतिबद्धता - योगीजी के ये गुणविशेष, एक लोकप्रिय नेतृत्व बनाने में उन्हें मददगार साबित हुए हैं.सा ही मे उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का  संपूर्ण भरोसा प्राप्त है.

उत्तर प्रदेश देश के बड़े राज्यों मे आता है. यहा की भूभाग की प्रचंडता, लोकसंख्या और कृषि व्यवस्था काफी नई  सम्भावनाओ का रास्ता खोलने मे मददगार सिद्ध हो सकती है.

ब्रांड योगीजी और ब्रांड उत्तर प्रदेश का मिलाप एक जबरदस्त जोड़ बनाता है. काफी नई सम्भावनाए और आशाएं जिवित करता है.

चलते चलते..
उत्तर प्रदेश विकास और आर्थिक सबलता की राह पर अग्रेसर हो गया है. अगर इसकी गति और क्षमता बढ़ानी होंगी तो निर्णयात्मक कदम उठाते रहना होगागति को और गतिवान करना होगा. प्रदेश को कई दशकों बाद एक निर्णायक नेतृत्व प्राप्त हुआ है. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए आंदोलनो को उन्होंने जिस कल्पकता और निश्चयात्मक तरीके से सम्भाला यह पूरे विश्व ने देखा, सराहा.

राजनैतिक नेतृत्व और प्रशासन अगर साथ मे मिलकर काम करे तो प्रदेश उत्तम से सही मायनों मे एक सफल प्रदेश बनेगा. सफ़लता सिर्फ सड़के या बिल्डिंग बनाने से नहीं हासिल होंगी. सफलता के सभी आयामों पर वृद्धि दिखानी होंगी - मानवीय, औद्योगिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और स्थैर्य (राजनैतिक और कानून व्यवस्था).

अवसर अनंत है, उन्हें सही तरीके से नापकर, उनको सही जगहों पर स्थायिक करना होगा. कुछ बड़े निर्णय लेने होंगे
  • काग़ज़ी सिकंदरो को मैदान मे भी कार्य करने के लिए  प्रेरणा देनी होंगी, उनके कार्यपद्धति पर पैनी नजर रखनी होंगी. रियल टाइम प्रोजेक्ट मॅनेजमेंट को कार्यपद्धती का जरूरी हिस्सा बनाना होगा
  • भारतीय राजनीति ने कर्मभोगी तो हजारो देखे है, आज भी कई है. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी जैसे कर्मयोगी विरले ही है.
उत्तम प्रदेश को सफल प्रदेश बनाने की उनकी तपस्या कितनी फलती है यह तो आनेवाला समय बताएगा, ऐसा हो सकता है, इस बात पर विश्वास करने का मन करता है.

शुभम भवतु.
धनंजय मधुकर देशमुख, मुंबई
Dhan1011@gmail.com 
(लेखक एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्च और बिज़नेस स्ट्रेटेजी एनालिस्ट है. इस पोस्ट मे दी गई कुछ जानकारी और कविता / गीत  / श्लोक इन्टरनेट से साभार इकठ्ठा किए गए है. नए उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए बौद्धिक योगदान देने में इन्हे आनंद होंगा.)

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