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नमन विंगकमांडर...


8 अगस्त 20, मुंबई
कल शाम को आठ साढ़े आठ बजे खबर आई, कोझिकोड मे एक विमान हादसा हुआ है. एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान रनवे से फिसला और खाई में गिरा. एक घंटे बाद पता चला, विंग कमांडर श्री दीपक साठे उस क्षतिग्रस्त विमान के मुख्य वैमानिक थे

अनुभव और कार्य के प्रति कर्मठता
कप्तान साठे, इंडियन एयर फोर्स से रिटायर होकर एयर इंडिया एक्सप्रेस मे अपना योगदान दे रहे थे. कुछ समय वे हिन्दुस्तान ऐरो नॉटिकल के लिए टेस्ट पायलट भी थे. करीबन 35-36 साल का सभी प्रकार के विमान (वायुसेना - मिग सीरीज, यात्री एयरबस 380 और अनेक) चलाने का उनका प्रदीर्घ अनुभव था. अपनी प्रचंड कार्यक्षमता के लिए उनके कार्यकाल मे उन्हें कई विशिष्ट और अतिविशिष्ट पदको से भी नवाजा गया था. इससे उनकी काबिलियत, आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता (work ethics) सिद्ध होती है.

7 अगस्त.. 
दुपहर साढ़े चार बजे दुबई एयरपोर्ट उन्होंने कोझिकोड के लिए उड़ान भरी और तय वक़्त पर पहुचे भी. कल कोझिकोड मे जोरदार बारिश चल रही थी. ये जान ले कि, कोझिकोड का यह एयरपोर्ट टेबल टॉप है - यानी एयरपोर्ट ऊचाई पर है, और इसके अंत पर 30-50 फिट गहरी खाई है.

कहते है बोईंग 737-8HG के इस विमान ने नवंबर 2006 मे अपनी पहली उड़ान भरी थी - करीबन साढ़े तेरह साल पहले. लॉन्च के शुरू से ही, यानी 1968 से, 737 जहाज सीरीज अमरीकन विमान कंपनी बोईंग का सबसे ज्यादा बिकने वाले और प्रसिद्ध जहाजों मे से एक है. हालांकि वक़्त के साथ इसमे तकनीकी विकास और बदलाव किए गए.

अमूमन हवाई जहाज 20-22 साल तक ठीक तरीके से चलते है. हालांकि अमरिका मे व्यापारिक जहाजों की औसतन आयु 11-12 साल ही होती है. सो उस हिसाब से जहाज करीब ठीक ठाक था. औसतन था.

टेबल टॉप रन वे.. 
देखने मे टेबल टॉप रन वे काफी रोमहर्षक लगते है, लेकिन यहां से जहाज उड़ाना और उतारना औसतन एयरपोर्ट से काफी ज्यादा कठिन है. कौशल्य और अनुभव की जरूरत होती है

बिल्कुल ऐसा ही एयरपोर्ट मंगलौर मे है, अलबत्ता थोड़ी ऊंचाई पर. 22 मई 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोईंग का 737-800 जहाज सुबह 6 बजे लॅण्ड करते वक़्त क्रॅश हुआ, इसका एक पंख टूट गया, आग लगी और जहाज रनवे से खाई तरफ फेंका गया. इसमे 166 यात्री थे, जिनमें से 158 की मौके पर ही मौत हो गई थी.

कुछ तथ्य और प्रश्न  ..
विंग कमांडर दीपक साठे एक अनुभवी पायलट थे
  • कल शाम कोझिकोड मे बारिश हो रही थी
  •  ऐसी अवस्था मे रन वे ठीक से दिखाई ना देना सामान्य बात है.
  • रन वे की अवस्था क्या थी ये अभी किसी को नहीं पता - हालांकि मीडिया रिपोर्ट ये भी है कि DGCA (जो कि विमान क्षेत्र की निगरानी रखती है) ने कोझिकोड एयरपोर्ट के रन वे पर रबर डिपॉझिट पर सवाल उठाए थे (जब भी जहाज लॅन्ड करता है तो टायर और रन वे के घर्षण से टायर का रबर निकलता है और रन वे की ऊपरी सतह पर जमा होता है, इसलिए रन वे का समयबद्ध रख रखाव जरूरी है).
  • रन वे पर दरारे आना नई बात नहीं, लेकिन समय समय पर उन्हें भरते रहना जरूरी होता है, खासकर बारिश के मौसम के पहले. केरल के इस भाग मे बारिश साल मे अनेकों बार होते रहती है. अगर दरारे रहती है तो सतह पर बारिश का पानी जमा होता है.
  • सो, बारिश, शाम का समय उसमे कम विजिबीलीटी , पानी और फिसलन. काफी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई थी 
  • जो बात अभी किसी को भी मालूम नहीं वो यह कि - क्या जहाज मे उतरने से पहले कोई तकनीकी खराबी गई? क्या इसका लैंडिंग गियर वक़्त पर और सही तरीके से खुला? क्या ब्रेकिंग सिस्टम सही काम रहा था? 
  • जहाज मे आग नहीं लगी, क्या इसका मतलब उस वक़्त जहाज मे ईंधन कम था?
आखिर क्या हुआ होंगा?
डिजिटल फ्लाइट डेटा रेकॉर्डर / कॉकपिट रेकॉर्डर या जिसे ब्लैक बॉक्स कहते हैं, जहाज के पिछ्ले हिस्से में होता है. इसमे कॉकपिट मे हुई आखिरी क्षणों तक कि बातचीत और जहाज के सभी उपकरणों की जानकारी होती. ब्लैक बॉक्स निकलवाने के बाद उसका अभ्यास किया जाएगा और तथ्य सामने आएंगे.

क्या ये हादसा टाला जा सकता था?
इसका जवाब इतना सटीकता से देना मुश्किल है, लेकिन सोचिए
  • टेबल टॉप एयरपोर्ट जोखिमभरे होते है
  • लेकिन जगह की कमी की वज़ह से अपवादात्मक स्थिति में ऐसे एयरपोर्ट बनाए जाते है 
  • लेकिन अगर क्या इस तरह के एयरपोर्ट बनाना जरूरी है ये सोच महत्वपूर्ण है 
  • केरल की जनसंख्या 3.4 करोड़ है, जो चौदह जिलों मे 39 हजार वर्ग किमी भौगोलिक क्षेत्र मे फैली है
  • केरल मे चार अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है
  • महाराष्ट्र मे बारा करोड़ की जनसंख्या छत्तीस जिलों मे तीन लाख वर्ग किमी से अधिक के भूभाग मे फैली है. महाराष्ट्र मे तीन अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है
  • क्या केरल जैसे राज्य में चार अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट जरूरी है? क्या यहा पर इनका रखरखाव केंद्रीय संस्थाओ द्वारा दिए गए नियमों से होता है
  • जैसा हमारे यह अक्सर होता है - एक सुपरफास्ट रेल शुरू होती है, लेकिन इस रूट पर जितने भी सांसद या विधायक होते हैं, हर कोई चाहता कि ये रेल उनके क्षेत्र मे रुके. नहीं मानो तो आंदोलन होते हैं. अंत मे यह सुपरफास्ट रेल ज्यादातर गावों मे रुकती है - सामान्य एक्स्प्रेस बन के रह जाती है. एयरपोर्ट के साथ भी यही होता है. हर कोई अपने क्षेत्र मे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट चाहता है.
  • इसके कई और भी कारण हो सकते हैं. 
लब्बोलुआब ये कि, जनसेवा /ढांचागत सुविधाए - किसी भी क्षेत्र के जनसंख्या, आकार, अर्थव्यवस्था, सामरिक और विदेशी पर्यटक और विकास के दृष्टि से बनाए जाने चाहिए. ना के पब्लिक डिमांड पर या राजनैतिक फायदे के लिए (कुछ लोग ऐसी व्यवस्थाओं को राजनैतिक, चुनावी और कौमी दृष्टि से भी देखते है).

वंदेभारत मिशन के अंतर्गत एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX1344 दुबई से 190 यात्री, दो पायलट और 4 क्रू सदस्यों के साथ कोझिकोड पहुच तो गई लेकिन समय पर रुक नहीं पाई.

क्रैश की खबर आते ही टीव्ही चैनल्स और पोर्टल पर पर इसका लाइव प्रसारण शुरू हो गया, विमानक्षेत्र के विश्लेषक, विशेषज्ञ दिखाई देने लगे, एंकर अपनी अपनी आधी अधूरी समझी बातों को, उन्हें जैसे चाहिए ईन विश्लेषकों के मुह से निकलवाने लगे. कुछ लोगों ने तो विंगकमांडर दीपक साठे की कार्यक्षमता, ट्रेनिंग, मानसिक स्थिति और जहाज को दूसरे एयरपोर्ट पर ना उतारने पर सवाल उठाए - ये वहीं लोग होते है, जिनका जब भी रोड साइड एक्सीडेंट होता है तो गाड़ी के ब्रेक और रोड के खड्डे या फिर दूसरे ड्रायवर को दोष देते है. ये शर्मनाक है.

मीडिया की जरूरत है, लेकिन विषय की जानकारी ना हो तो, जाने माने विशेषज्ञ को बुलाए - ना के, जो गली की टीम मे कभी खेल नहीं पाए और क्रिकेट पर सलाह दे रहे हैं ऐसे लोग.

चलते चलते..
कोझिकोड की विमान दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. एक भी जान जाती है तो वह खेदजनक होता है - उस परिवार की क्षति भरना मुश्किल होता है. आशा करते हैं जो ज़ख्मी हुए हैं वे जल्द से जल्द ठीक हो जाए. और जिन्होंने अपने प्रियजन खोए है उन्हें ईश्वर शक्ति दे. मृतात्मा को ईश्वर सद्गति दे. 

मैं व्यक्तिगत रूप से विंग कमांडर दीपक साठेजी को जानता हूं, एक ही संकुल मे हमारे आशियाने है - मेरे जैसे सैकड़ों है. अनुशासन, परिश्रम, प्रतिबद्धता, और सूक्ष्मतापूर्ण काम (Meticulous) करने की उनकी क्षमता, उनके सदाबहार और सकारात्मक व्यक्तिमत्व को पूर्णरूप देती थी. बुजुर्ग, छोटे और समवयस्क सभी के साथ (अनजाने भी हो तो) संवाद साधना उनकी विशेषता थी. कोझिकोड के इसी रनवे पर उन्होंने पच्चीसो बार लैंडिंग की थी.

अपने परिवार के साथ और ज्यादा समय बिताने की योजना भी उन्होंने बनाई होंगी.
लेकिन शायद नियति ने शायद कुछ और योंजीत किया. उन्होंने अपने अनुभव और कर्मठता से फ्लाइट IX1344 को कठिण परिस्थिती मे लॅण्ड किया, पहला घाव खाया, लेकिन सैकड़ों जाने बचाई. खेद इस बात का है कि औरों की तरह वे घर सुखरूप नहीं पहुच पाए

"वंदेभारत मिशन" के राष्ट्रीय कार्य मे अपना योगदान देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. उनके परिवार को निजी एकांत देना होना. शतशः नमन, ओम शांति. 🙏 🙏 

धनंजय मधुकर देशमुख, मुंबई 
Dhan1011@gmail.com
(लेखक एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्चऔर बिज़नेस स्ट्रेटेजी एनालिस्ट है. इस पोस्ट मे दी गई कुछ जानकारी और इन्टरनेट से साभार इकठ्ठा किए गए है.)

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