Skip to main content

सागर है अथांग नीला, सुन्दर बनेगी सागरमाला

17 जुलाई 20, मुंबई
सागर है अथांग नीला, सुन्दर बनेगी सागरमाला
कल केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री  (जहाजरानी / Ministry of Shipping) श्री मनसुखभाई मांडविया ने कोलकता पोर्ट से अगरतला के लिए कंटेनर शिप का ट्रायल शुरू किया. ये कंटेनर शिप कोलकता से बांग्लादेश जाकर वहा से असम और पूर्वोत्तर इलाके मे सामान ढुलाई करेंगीं. कहा जा रहा है, अगर यह ट्रायल कामयाब रहा और इसे स्थापित किया गया तो इससे समय और ईंधन की काफी बचत होंगी

इससे पहले, मार्च महीने से वैश्विक कोरोना महामारी का संकट भारत मे गहराने लगा. कई भारतीय नागरिक विदेशों मे किसी ना किसी काम वजह से गए थे (इनमे विद्यार्थि भी शामिल है). कोरोना महामारी की वजह से अंतरराष्ट्रीय विमानसेवा मार्च के अंत में बंद कर दी गई थी इस वजह से चीन, जापान, अमरिका, सिंगापोर, जर्मनी, श्रीलंका जैसे और अनेक देशों में गए नागरिक वापिस भारत मे आने मे दिक्कत महसूस कर रहे थे.

कई नागरिको को विशेष 'वंदेभारत मिशन" विमानसेवा के तहत भारत वापिस लाया गया.
इसी मिशन के अंतर्गत कई नागरिको को "ऑपरेशन समुद्र सेतु" के तहत आईएनस जलाश्व, आईएनस शार्दूल, आईएनस ऐरावत और आईएनस मगर से मालदीव, श्रीलंका, ईरान से समुद्रीमार्ग से  वापिस लाया गया. हालांकि इसका कवरेज शायद कम हुआ हो. पचपन दिनों मे भारतीय नौसेना के ईन समुदी नौकाओं ने अलग-अलग देशों मे जाकर लगभग चार हज़ार भारतीय नागरिको को भारत वापिस लाया. सागर ने भी अपनी भूमिका निभाई!!

लंबी है समुद्रीरेषा (coastline)..
भारत को लगभग साढ़े सात हजार किलोमीटर इतनी लंबी समुद्रीरेषा प्राप्त है. भारत मे बारा बड़े और दो सौ छोटे बंदरगाह है. बावजूद इसके, भारतीय बंदरगाह बुनियादी ढाँचा संरचना के विकास तथा माल ढुलाई आवाजाही आदि के मामले में काफी पीछे है. 
फिरभी समुद्री परिवहन काफी कम है..
सकल घरेलू उत्पाद में जहाँ रेलवे की हिस्सेदारी लगभग 9% और सड़क परिवहन की 6 % है, वहीं बंदरगाहों का हिस्सा लगभग 1% के आस-पास है. वर्तमान समय में भारतीय बंदरगाह मात्रा की दृष्टि से देश के निर्यात व्यापार का 90% से अधिक हिस्सा संभालते हैं.
नीली अर्थव्यवस्था.. 
  •  7,500 किलोमीटर लंबी तट रेखा पर समुद्र में भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में 20 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है
  • भारत की 15 फीसदी आबादी तटीय इलाकों में रहती है
  • मत्स्य कृषि केअलावा समुद्र से और भी काफी फायदे है
  • भारत का मात्रा के संदर्भ में 95 प्रतिशत तथा मूल्य के रूप में 70 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है
  • भारत 2024-25 तक 250 अरब डॉलर (18 लाख करोड़ रुपये) की नीली / समुद्री अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है. नॉर्वे के पास समुद्री अर्थव्यवस्था को काम में लाने का भरपूर अनुभव है. इस बात का महत्व जानकर भारत और नॉर्वे साथ मिलकर, भारत मे समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का काम कर रहे है
  • महासागर सिर्फ ज्वारीय एवं थर्मल बल्कि अपतटीय पवन ऊर्जा के उत्पादन में भी महती भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं. भारत ऐसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर अपनी अपारंपारिक ऊर्जास्त्रोतों की (renewable energy) क्षमता में वृद्धि कर सकता
  •  समुद्र के पानी को प्रक्रिया कर के सामान्य लोगों के उपयोग के लिए शुद्ध किया जा सकता है. इस्राइल के पास इसकी तकनीक है. भारत के चेन्नई मे इसपर सफल प्रयोग भी हुए हैं.

समुद्री पर्यटन..
भारत में भी पर्यटन क्षेत्र तेजी से विकास हो रहा है किंतु अभी भी भारत अपनी जैव विविधता का उपयोग पर्यटन के दृष्टिकोण से नहीं कर सका है. भारत में कई तट एवं द्वीप (अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, केरल, गोवा, गुजरात आदि) ऐसे हैं जिसका विकास समुद्री पर्यटन के दृष्टिकोण से किया जा सकता है. विभिन्न देश जैसे-मालदीव, मॉरीशसआदि में समुद्री पर्यटन का अच्छा विकास हुआ है। यह क्षेत्र सिर्फ अधिक रोज़गार सृजन की क्षमता रखता है बल्कि विदेशी मुद्रा अंतरप्रवाह (Inflow) की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है.

महाराष्ट्र मे कोकण विभाग से साढ़े सात सौ किलोमिटर की समुद्र रेखा है. यहा पर पर्यटन व्यवसाय काफी फल फूल रहा है. हालांकि इसका व्यवस्थापन और बेहतर तरीके से हो सकता है - जैसे, ग्राहक को समान अनुभव मिले इसके लिए यहां के व्यवसायिको को एक साथ आना होगा, कीमतें, सर्विस और क्वालिटी समसमान बनानी होंगी (organized setup, standardization of quality, rates and customer experience).
यहा के व्यावसायिको को समुद्रकिनारा, और समुद्री खाना इनसे बाहर निकलकर अलावा पर्यटक को और नई सर्विसेस देनी होंगी - जैसे, समुद्री जीवन (मरीन लाइफ), कृषि और मेडिकल टूरीजम. उनका समुद्र अनुभव बढ़ाना होंगा, उसे हर बार एक नया आयाम देना होंगा, ताकि वे लौट कर फिर आए.  

संकल्प सागरमाला का..
सागरमाला परियोजना की परिकल्पना सर्वप्रथम तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 15 अगस्त, 2003 को प्रस्तुत की गई थी. देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के तहत "सागरमाला" परियोजना को तत्कालीन जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी की अगुआई मे २०१४-5 में पुनर्जीवित किया. इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है.
  • केंद्र सरकार अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना सागरमाला पर आठ लाख करोड़ रु खर्च कर रही है.
  • बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय बीस हजार करोड़ रुपए की लागत से इक्कीस बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा.
  • इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल रेल और राष्ट्रीय राजमार्गो के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है.
  • इस परियोयजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का भी निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके.
  • इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत सत्ताइस (27) इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोजगार भी तयार होंगे.
  • सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी.
  • अनुमान है कि सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो सागरमाला से सरकार को सालाना औसतन चालीस हजार करोड़ रु तक की बचत होगी.
  • सागरमाला के तहत देश के भीतरी भागों में जलमार्ग विकसित करने की भी योजना है.
  • नदियों और नहरों से बने ये जलमार्ग सीधे बंदरगाहों से जुड़े होंगे और इनके जरिये समुद्र से दूर स्थित इलाकों से भी माल ढोया जा सकेगा.
  • एक लीटर डीजल से सड़क पर 24 टन के कारगो को एक किलोमीटर तक ढोया जा सकता है.
  • रेल के मामले में यही आंकड़ा 85 टन का हो जाता है और जल परिवहन के मामले में 105 टन तक पहुंच जाता है. यानी इससे माल ढुलाई की लागत असाधारण रूप से कम हो सकती है.
  • बंदरगाहों तक रेल के जरिये कारगो के आवागमन को सरल बनाने के लिए खास तौर पर इंडियन पोर्ट रेल कॉरपोरेशन नाम की संस्था भी बनाई गई है. यानी सागरमाला से सड़क और रेल मार्ग पर पड़ रहा बोझ घटेगा और समय और पैसे की बचत होगी.
  • इस योजना से जुड़ी अन्य इंडस्ट्री के लिए सात से आठ लाख करोड़ के निवेश की संभावना है.
महाराष्ट्र पर विशेष ध्यान..
भारत की साढ़े सात हजार किलोमीटर समुद्रीरेखा का दस प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र मे है. महाराष्ट्र मे सागरमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग ढाई लाख करोड़ के काम होने है. इसमे पालघर जिले मे डहाणू के पास वाढवाण मे करीबन पैसठ हजार पाच सौ करोड़ रुपयों की लागत से सालाना एक करोड़ टीइयू (Twenty foot equivalent unit) और डेढ़ करोड़ मेट्रिक टन (जो 2038 मे तेईस करोड़ मेट्रिक टन इतनी होंगी) की ढुलाई करने के सक्षम ऐसा अत्याधुनिक बंदरगाहनिर्माण भी शामिल है
गौरतलब है कि महाराष्ट्र मे मुंबई से अलिबाग रो-रो सर्विस शुरू हो चुकी है, आनेवाले समय मे और भी समुद्रकिनारे जोडे जाएंगे. रोल ऑन/रोल ऑफ (रो-रो) सेवामे जहाजों को इस तरह से तैयार किया जाता है, जिनमें कारों, ट्रकों, सेमी-ट्रेलर ट्रकों, ट्रेलर्स और अन्य चीजों को लादा जा सकता है. इसके अलावा लोग भी इसमें सफर कर सकते है.


ये तो कमाल हो गया..
नितिन गडकरीजी जब जहाजरानी मंत्री थे, तब 2018 - 19 मे भारत के सभी 12 सरकारी बन्दरगाह मुनाफे मे थे. ये शायद पहली बार हुआ था. उस दौरान पश्चिम बंगाल - बिहार - उत्तर प्रदेश को जलमार्ग से जोड़ने के लिए जलमार्ग परियोजना के तहत काम शुरू किया गया था. इसके चलते 2018-19 मे कुछ क्षेत्रो मे प्रवासी वाहतुक शुरू भी हुई.

छोटी मछली, बड़ी मांग..
पश्चिम बंगाल मे हिलसा मछली बहुत प्रसिद्ध है. वहा पर ये बड़ी मात्रा मे पाई जाती है. हिलसा के चाहने वाले बिहार, उत्तर प्रदेश मे भी काफी है, लेकिन वहा इसकी मात्रा कम पाए जाने के कारण वहा पर यह मछली महंगी बिकती है. हिलसा मछली  पश्चिम बंगाल की बंगाल की खाड़ी से से प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की ओर गंगा मे जाती है.

1976 में फरक्का नेवीगेशन लॉक के निर्माण के बाद से नदी में हिल्सा मछलियों की गतिविधियां फरक्का तक सीमित रह गई थी. श्री गडकरी के अगुआई मे जल मार्ग परियोजना के अंतर्गत यहा एक कॉरिडॉर की कल्पना की गई जिस वजह अब हिलसा मछलियां दूसरी तरफ जा पाएगी. जहाजरानी मंत्रालय को मत्स्य जीवन और व्यवसाय का खयाल रखना होता है!!

है कई और संभावनाए..
जलमार्ग का बनना काफी नई सम्भावनाए ले आता है - नौकावहन, शिप बिल्डिंग, जल पर्यटन, मत्स्य व्यवसाय, और दो राज्यों के बीच लोगों का आनाजाना और सबसे सस्ती सामान की ढुलाई. जलमार्ग से सामान की ढुलाई रू 1.2 प्रति टन प्रति किमी, जबकि सड़क की रू 2 से 3 प्रति टन प्रति किमी. हालांकि ये वही सम्भव होगा जहा नदी या समुद्र है.

शिपबिल्डिंग व्यवसाय को बल..
भारत मे समुद्री जहाज बनाने की जगहों में गोवा का नाम ऊपर है. गोवा का समुदी क्लस्टर भारत मे सबसे बड़ा है, विस्तृत सड़क और रेल नेटवर्क का होने के वजह से गोवा एक विशिष्ट स्थान पर है. यहा से सयुंक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका और मालदीव जैसी समुद्री अर्थव्यवस्था नजदीक है. यहा बनाई हुई नौकाएं किसी भी समुद्री वातावरण में उपयुक्त होती है. मतलब, भविष्य मे गोवा को सागरमाला प्रोजेक्ट का काफी लाभ होंगा.

समुद्री संकल्प 2030
सागरमाला प्रकल्प से प्रेरणा लेकर जहाजरानी मंत्रालय ने नया "समुद्री संकल्प 2030 (Maritime Vision 2030)" बनाना शुरू कर दिया है. आशा है कि यह कार्यक्रम जल्द से जल्द काग़ज़ों से निकल कर लागू किया जाने की स्थिति मे आएगा.

चलते चलते..
भारतीय संस्कृति मे समुद्र को एक विशेष स्थान है, जिसमें समुद्रमंथन और राम सेतु का संदर्भ काफी महत्वपूर्ण है. रामसेतु का अस्तित्व आखिर सभी को मानना ही पड़ा.आदिशक्ति ने भगवान विष्णु के कच्छप अवतार और सृष्टि के संचालन के लिए समुद्र मंथन की लीला रची थी. देव और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, उसमें से 14 रत्न निकलेसमुद्र मंथन के संदर्भ मे एक प्रचलित श्लोक के अनुसार चौदह रत्न निम्नवत हैं:

लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुराधन्वन्तरिश्चन्द्रमाः। :: गावः कामदुहा सुरेश्वरगजो रम्भादिदेवांगनाः। :: अश्वः सप्तमुखो विषं हरिधनुः शंखोमृतं चाम्बुधेः।:: रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदिनं कुर्यात्सदा मंगलम्। ::

कालकूट (या, हलाहल), ऐरावत (हाथी), कामधेनु (गौमाता), उच्चैःश्रवा (अश्व), कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, लक्ष्मीदेवी, वारुणी मदिरा, चन्द्रमा, शारंग धनुष, शंख,गंधर्व, और अमृत.

आज के युग मे समुद्रीव्यवस्था को उचित रूप से उपयोग कर के. इससे ज्यादा से ज्यादा द्रव्य (संपत्ति) की कमाई या बचत हो सकती है, उसे कैसे किया जाए ये हमारे ऊपर है. आज की घडी मे लगता तो यही है कि, देश की आजादी के सत्तर सालो के बाद मे समुद्री अर्थव्यवस्था को और बढावा देने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रामाणिक प्रयास किए जा रहे हैं, अब ये तो समय ही बताएगा की ये प्रयास कितने उपयोगी हुए.

अक्टूबर 2019 मे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने महाबलीपुरम में समंदर की लहरों से संवाद करती हुई एक कविता लिखी थी..
"तू धीर है, गंभीर है,
जग को जीवन देता, नीला है नीर तेरा!
ये अथाह विस्तार, ये विशालता
तेरा ये रूप निराला।

चलते-चलाते जीवन संवारती,
लहरों की दौड़ तेरी।
रुकती, थकती,
चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति का मंत्र सुनाती।
निरंतर..सर्वत्र!
ये यात्रा अनवरत,
ये संदेश अनवरत।
हे... सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!"
लहरों की तरह जीवन में अपने लक्ष्य को पाने के लिए सदा प्रयत्नरत रहे, सफलता की माला अपने आप बुनते जाएंगी.

धनंजय . देशमुख, मुंबई
dhan1011@gmail.com 
(लेखक एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्च और बिज़नेस स्ट्रेटेजी एनालिस्ट है. इस पोस्ट मे दी गई कुछ जानकारी और कविता / गीत  / श्लोक इन्टरनेट से साभार इकठ्ठा किए गए है. छोटे और नए उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए बौद्धिक योगदान देने में इन्हे आनंद होंगा.)

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

TrendSpotting : New and Rising - Pickleball

20 November 2022, Mumbai Let’s have a ball, Pickleball! A school friend of mine recently got transferred from Kolkata to Mumbai. Being a fitness-oriented person, he asked me if there are any good recreation (sports) facilities nearby. Knowing that he got an apartment in the heart of Vile Parle East, I was quick to recommend Prabodhankar Thackeray Krida Sankul (PTKS) – an obvious choice for anyone living in the western suburbs to relax, unwind, train and play!   While he was thrilled to see the Olympic size swimming pool, he got curious about a game that a group of boys were playing in the open area. While the game looked like lawn tennis, but it was not. It appeared to be an easy yet fitness-oriented game to him. When I told him that it is called “ Pickleball” he was like I was kidding! It was natural, A commoner may be amused to hear “Pickleball” being name of a sport! Well, that it is true.   I then took up the opportunity to introduce him to some trainers of the...

उद्योगांवर बोलू काही - विदर्भात उद्योगांची भरारी गरजेची!

23 एप्रिल 23, मुंबई  उद्योगांवर बोलू काही - विदर्भात उद्योगांची भरारी गरजेची! पीएम मित्रा योजनेअंतर्गत केंद्र सरकारने अमरावतीमध्ये 'मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाईल पार्क' घोषित केला आहे. देशात सात शहरांत अशाप्रकारचे पार्क होणार असून यामध्ये अमरावतीचा समावेश आहे. अमरावतीसह गुजरात, मध्य प्रदेश, तामिळनाडू, तेलंगण, कर्नाटक व उत्तर प्रदेश याठिकाणी पीएम मित्रा योजनेअंतर्गत सदर प्रकल्प उभारले जाणार आहे. पहिल्या टप्प्यात सातही प्रकल्पांसाठी चार हजार कोटीची गुंतवणूक होणार आहे. अमरावतीच्या प्रकल्पात १० हजार कोटींची गुंतवणूक होणार आहे. नांदगाव पेठ औद्योगीक वसाहतीजवळील पिंपळविहीर येथे सदर प्रकल्प होणार आहे, जवळपास ३ लाख लोकांना रोजगार त्‍यातून मिळणार आहे.    ‘पाच एफ’ अर्थात ‘फार्म टू फायबर टू फॅक्टरी टू फॅशन टू फॉरेन’ याअंतर्गत सदर प्रकल्प उभारले जाणार आहेत. सदर प्रकल्पासाठी केंद्र सरकार ७०० कोटी खर्च करणार असून या पार्कचे मार्केटिंग केंद्र सरकार राष्ट्रीय, आंतरराष्ट्रीय स्तरावर करणार आहे. यातूनच अनेक मोठे राष्ट्रीय, आंतरराष्ट्रीय ब्रँड अमरावतीला येणार असल्याची माहिती आहे. ...

राजकीय आरसा - श्री देवेंद्र फडणवीस

21 जुलै 2022, मुंबई राजकीय आरसा – श्री देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस काल सर्वोच्च न्यायालयाने ओबीसी आरक्षणाचा मुद्द्यावर निर्णायक बाजू घेऊन त्यांचे राजकिय आरक्षण बहाल केले. गेले अडीच-तीन वर्ष फोफावलेल्या अनिश्चिततेला पूर्णविराम मिळेल असे दिसतेय. मागच्या जुलै मध्ये तत्कालीन विरोधीपक्षनेते आणि माजी मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस यांनी सदनात घोषणा केली होती की त्यांचे सरकार आले तर तीन ते चार महिन्यात हे आरक्षण बहाल करण्यात येईल असे प्रयत्न करू. काळाची किमया बघा, आज ते उपमुख्यमंत्री आहेत आणि हा निर्णय आला. पदग्रहण केल्यापासून दोन-तीन आठवड्यात त्यांनी या विषयी निर्णायक हालचाली केल्या असे म्हंटले जाते. असो, राज्यात राजकिय स्थैर्यासाठी हे होणे आवश्यक होते. तसे बघितले गेले तर, राज्यात स्थैर्य येईल असे दर्शवणारी गेल्या चार आठवड्यात घडलेली ही एकमेव घटना नाही. याची नांदी जून मध्ये घडलेल्या राज्यसभा निवडणुकीत लागली होती. भाजपचे श्री धनंजय महाडिक यांनी भाजप आणि मित्र पक्षांकडे संख्याबळ नसतांना अटीतटीच्या लढतीत तिसरी जागा जिंकली. त्या वेळेस महाविकास आघाडीच्या तीन मतांवर आक्षेप आला होता, त्यातील...