26 जून
20, मुंबई
राह
पे
चलते
है,
हम
तो
सफर
करते
हैं..
रस्ता, राह, हमारी
जीवन का अविभाज्य
अंग है. एक
बार रेल मार्ग
ना हो, विमान
सेवा ना हो,
लेकिन रास्ता भी
ना हो, शायद
ऐसी बहुत ही
कम जगहे भारत
मे होंगी. अंदमान
निकोबार
या पूर्वोत्तर या
जम्मू और कश्मीर,
लद्दाख का कुछ
हिस्सा है जहा
पर पथमार्ग नहीं
है, बल्कि जल
मार्ग या पहाड़ों
कि राहे है.
कहते है, जब
भी आप किसी कशमकश
मे हो, और
आप के पास
समय और साधन
हो, तो निकल
पडो रोड-ट्रीप
पर.. रोड-ट्रीप
मे हम गांव,
खेत, जंगल, समुंदर,
नदी, पहाड़ का
अवलोकन कर सकते
है. इतना ही
नहीं, जहां जहाँ
से हम जाये, वहां के
लोग, खान-पान,
भाषा, संस्कृति, हमे
नए अनुभव देती
है.
- भारत का रोड नेटवर्क दुनिया मे सबसे बड़े नेटवर्क मे से एक है, जिसकी लंबाई है लगभग, पचपन लाख किलोमीटर (5.58 मिलियन किमी)!! इनमे एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय महामार्ग, राज्य महामार्ग और ग्रामीण सडके शामिल है.
- भारत में २२५ से ज्यादा राष्ट्रिय महामार्ग है और उनकी लम्बाई करीबन एक लाख बत्तीस हज़ार किमी है
- राष्ट्रिय महामार्ग १ जम्मू और कश्मीर के उरी से शुरू होता है. महामार्ग ८७ तमिलनाडु के धनुष्कोडी में ख़तम होता है
- NH44 जो श्रीनगर से कन्याकुमारी तक (NH7 को जोड़ कर) 3745 किमी सबसे लंबा भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग होगा. NH47A देश का सबसे छोटा राष्ट्रीय महामार्ग है, जो कि केरल मे है और सिर्फ 6 किमी का है - यह कोची और मानव निर्मित टापू, विलिंगडन आयलॅन्ड को एकसाथ जोड़ता है.
रस्तों
का
निर्माण
देश मे विविध
संस्थाओ
द्वारा रस्ते निर्मिती
होती है. केंद्रीय
स्तर पर सड़क
परिवहन
और
राजमार्ग
मंत्रालय
के अंतर्गत सड़क
और परिवहन के
नियम बनाए जाते
है. नए कार्यक्रम
बनाए जाते हैं.
नॅशनल
हायवे
ऑथॉरिटी
(NHAI), सड़क
परिवहन
और
राजमार्ग
मंत्रालय
(MoRTH) और
नैशनल
हाईवे
एंड
इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट
कार्पोरेशन
(NHIDL) प्रमुख संस्थाएं है
जो सड़क निर्मिति
को अंजाम देती
है.
सड़क निर्माण तेजी पर है.

सड़क परिवहन मंत्रालय
ने आने वाले
समय मे इसको
और तेजी बहाल
कर के
2022-23 तक करीबन 15 लाख
करोड़ के काम
पूरे करने का
लक्ष्य रखा है.
अमूमन दो-लेन
वाली राष्ट्रीय महामार्ग
की सड़क बनाने के
लिए प्रति किमी
रू
11-14 करोड़
की लागत आती
है (इसमे जमीन
अधिग्रहण
भी शामिल है),
और चार-लेन
की सड़क बनाने
के लिए प्रति
किमी
रू
30-35 करोड़
की लागत आती
है. यह लागत
सालाना
8-10% बढ़
रही है.
एक किमी सड़क
बनाने के लिए
दस
हजार
मनुष्य
दिन
(man-days) लगते
है, इसका ज्यादातर
हिस्सा, माने दो
तिहाई
(65%) अकुशल
कामगार
का
है,
एक
तिहाई
(30%) कुशल
कामगार
और
लगभग
5% व्यावसायिक
कामगार
का
है.
सड़क
निर्माण
भारतीय
अर्थव्यवस्था
मे
का
महत्वपूर्ण
अंग
है,
यह
क्षेत्र
करीबन
3-3.5% का
योगदान
ग्रॉस
वैल्यू
एडेड
(GVA. GDP नहीं)
मे
देता
है.
उपलब्धियां
काफी
है,
कुछ
महत्वपूर्ण..
- दिल्ली मेरठ हायवे पर फाइटर जेट उतरते है
- श्रीनगर बारामूला उधमपुर रोड पर चिनाब नदी पर 133 मीटर पुल
- लंबा टनल श्रीनगर जम्मू को जोड़ने वाला चेनानी -नाश्री ९ किमी लम्बा टनल
- सबसे लंबा पुल असम में ढोला सादिया में लोहित नदी पर 9 ३ किमी पुल
- कैलास मानसरोवर और चार धाम यात्रा और सुखद
- पिछले छह सालो में भारत, विश्व सड़क क्वालिटी इंडेक्स में ३३ पायदान ऊपर चढ़ा है जोकि बड़ी उपलब्धि है - ८४ से ५१ (२०१८)
- लोगोके आवागमन और माल ढुलाई के लिए अच्छी सड़के जरुरी है, लेकिन इनका सबसे ज्यादा मह्त्व सामरिक है - सेनाओ के लिए फ़ौज और उपकरणों की आवाजाही के लिए.इस दृष्टी से पिछले छह सालो में पूर्वोत्तर और जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में नए मार्ग बनाने पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है.
रोडकरी
गडकरी..
महाराष्ट्र
मे मुंबई पुणे
एक्सप्रेसवे
के शिल्पकार होने
के साथ-साथ
इन्होंने
मुंबई मे 1995-99 तक
करीबन पचपन (55) फ्लाइओवर
बना डाले. मुंबई
में बांद्रा-वर्ली
सी लिंक की
नीव इन्हीं के
कार्यकाल
मे रखी गई
थी. स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे कभी
कभी
स्नेहसे
इन्हें
गडकरी
के
बदले
मे
रोडकरी
कहकर
बुलाते
थे. ये उनकी
कार्यक्षमता
को एक प्रकार
की जीती-जागती
स्वीकृति
ही थी.
मंत्री नितीन गडकरी
के पास सड़क,
परिवहन और राजमार्ग
मंत्रालय
तो है ही,
साथ ही मे
भारत की अर्थव्यवस्था
की रीढ़ की
हड्डी जिसे कहते
है, वह लघुउद्योग
विकास
मंत्रालय
भी है. 2014 - 19 तक
गडकरी के पास
सड़क परिवहन के
साथ-साथ जहाजरानी
याने
जलपरिवहन
मंत्रालय
भी था. उस
समय उन्होंने, सागरमाला
परियोजना
को संकल्पित किया.
वहा भी उनकी
काफी उपलब्धियां है,
अलग से उस
विषय में बात
करेंगे.
लेकिन दो उपलब्धियां
है जो विशेष
है -
- 2018 - 19 मे भारत के सभी 12 सरकारी बन्दरगाह मुनाफे मे थे. ये शायद पहली बार हुआ था.
- पश्चिम बंगाल - बिहार - उत्तर प्रदेश को जलमार्ग से जोड़ने के लिए जलमार्ग परियोजना के तहत काम शुरू किया गया. पश्चिम बंगाल मे हिलसा मछली बहुत प्रसिद्ध है. वहा पर ये बड़ी मात्रा मे पाई जाती है. हिलसा के चाहने वाले बिहार, उत्तर प्रदेश मे भी काफी है, गडकरी के अगुआई मे जल मार्ग परियोजना के अंतर्गत यहा एक कॉरिडॉर बनेगा जिस वजह से अब हिलसा मछलियां उत्तर प्रदेश में आ पाएगी!!
भारत
मे
काफी
संभावनाए
है- व्यापार,
विहार
और
भी
कई
विषयों
मे.
जरूरत
है
अलग
तरह
से
विचार
करने
की
है (जैसे सड़क बनाते वक्त निकली हुई मिट्टी का सही ईस्तेमाल, या, छोटे से छोटे, और बड़े से बड़े सड़क प्रकल्पों को सही तरीकों से मॉनेटाइझ करना ).
भारतमाला परियोजना
भारतमाला
परियोजना
से अखिल भारतीय
स्तर पर राजमार्ग
का ग्रिड बिछाया
जा सकेगा. भारतमाला
प्रोजेक्ट
भारत सरकार के
सड़क परिवहन का
एक मेगा प्लान
है. भारत सरकार
ने
भारतमाला
योजना
के
तहत
7 फेज
में
34,800 किलोमीटर
सड़क बनेगी.
भारतमाला
परियोजना
पर काम गुजरात
और राजस्थान से
शुरू होगा. इसके
बाद पंजाब और
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल
प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और
बिहार से होते
हुए पूर्वोतर के
राज्य सिक्किम, असम,
अरुणाचल
प्रदेश, मणिपुर और
मिजोरम में भारत-म्यांमार बॉर्डर
तक सड़कें बनाई
जाएगी.
- भारतमाला के पहले चरण में 550 जिले कवर होंगे. अभी सिर्फ 350 जिलों से नेशनल हाईवे गुजरते हैं.
- 34 जिलों में सड़कों में लेन बढ़ाई जाएगी जबकि 35 शहरों में लॉजिस्टिक पार्क स्थापित किए जाएंगे.
- इसके अलावा 700 जगहों पर सड़क किनारे यात्री सुविधाओं (रोड साइड एमेनिटीज) का निर्माण होगा.
- इनमें से 180 का निर्माण दो वर्ष में करने का लक्ष्य है.प्रोग्राम के तहत 44 नए आर्थिक कारीडोर बनाए जाएंगे.
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 13 लाख करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समय पर पूरा करना चाहता है.
मल्टीप्लायर
इफेक्ट..
सड़क निर्माण, गृह
निर्माण,
रेल्वे या कृषि
- इन सभी क्षेत्रो
मे नई मूलभूत
व्यवस्थाए
बनाने के लिए
सरकार या निजी
क्षेत्र
पूंजी लगाते हैं.
इस पूंजीसे लाखो
रोजगार निर्मित होते
है, हजारो टन
लोहा, सीमेंट या
वस्तुए की जरूरत
होती है. इसका
मतलब यही पैसा
मार्केट
में आता है.
जितनी पूंजी इस
तरह की योजनाओं
में लगती है,
देश की अर्थव्यवस्था
पर तीन से
पाच सालो मे
उसका कई गुना
सकारात्मक
असर होता है.
इसे मल्टीप्लायर इफेक्ट
(multiplier effect) कहते है. हर
क्षेत्र
का अपना अपना
मल्टीप्लायर
इफेक्ट होता है.
कहते है सड़क
निर्माण
से मॅन्युफॅक्चरिंग
इंडेक्स
पर उसका 1-2 गुना
(upto 2x) तक असर हो
सकता है, उतनी
ज्यादा पूँजी निर्माण
(capital formation) हो सकती है.
अंतत: देश के
जीडीपी पर इसका
सकारात्मक
असर होता है.
2025 तक
भारतीय अर्थव्यवस्था को
पाच ट्रिलियन अमरीकी
डालर बनाने के
उद्दिष्ट
को साध्य करने
के लिए सौ
लाख करोड़ (USD 1.4 Tn) की
नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन 2020 - 25 (National Infra Pipeline) बनाई गई
हैं. इसमे सड़क
परिवहन और राजमार्ग
मंत्रालय
को बहुत अहम
भूमिका निभानी होंगी.
पर्यटन
विकास..
जहा सड़क, वहा
राही, जहां राही,
वहां बसेरा. ज्यादा
से ज्यादा पर्यटन
स्थलों तक पक्की
सड़क पहुचे ये
बहुत जरूरी है.
आनेवाले
सालों मे गृहपर्यटन
पर विशेष ध्यान
दिया जाएगा. लद्दाख,
पूर्वोत्तर
जैसे अनछुए स्थलों
को सामान्य से
सामान्य
पर्यटक के लिए
अनुकूल बनाना होंगा.
और भी काफी
है.
नए
ट्रेंड्स..
समय के साथ-साथ सड़क
निर्माण
मे भी बदलाव
आया है, गति
आई है, शास्वतता
आई है. सड़क
बनाने के लिए
सीमेंट कंक्रीट के
अलावा, प्लास्टिक, फ्लाई
ऐश का भी
ईस्तेमाल
हो रहा. सड़क
निर्माण
का मे लगने
वाला समय कम
हो रहा है.
ज्यादातर
समय पुल निर्माण
या कल्वर्ट बनाने
मे जाता है.
नये मटेरियल्स,नई सुविधाए..
- अगर हम कुछ नए मटेरियल, जैसे, एचडीपीई डबलवॉल कॉरूगेटेड प्लास्टिक पाइप (HDPE DWC Pipe) का ईस्तेमाल पुल और कल्वर्ट मे करे तो इससे समय की काफी बचत होंगी. यह मटेरियल पचास से साठ साल चलता है, जंगरोधक होता है और इसमे सीमेंट उतनी ही वजन ढोने की क्षमता होती है. सेना के कई सड़क या पुल प्रकल्पों मे इसका यशस्वी उपयोग किया गया है.
- सड़क की आयु बढ़ाने के लिए विशिष्ट कैमिकल की परत (special coating for reducing water seepage)
- डिजिटल भी और जलसंधारण भी. अब सड़क नहीं, भविष्य की पाइपलाइन बनाइये. HDPE पाइप का ईस्तेमाल करके एक तरफ डेटा नेटवर्क डाला जाए. इसी तरह के पाइप मे सड़क की दूसरी तरफ बारिश का पानी जमा करने के लिए पाइपलाइन
- मंत्रालय या इंडियन रोड कॉन्ग्रेस ने इसका संज्ञान लेना चाहिए
- इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (Fastag) का बढ़ता ईस्तेमाल
- निजी क्षेत्र के साथ बढ़ती साझेदारी. बनाओ चलाओ (टोल) और सरकार को वापिस करो (BOT)
- बाहरी देशों के संस्थाओ का बढ़ता निवेश.
इसकी जरुरत है..
- रोड टूरिज्म को बढ़ावा
- सड़क निर्माण का समय और खर्चा दोनों कम हो इसके लिए युद्धस्तर पर रिसर्च
- सड़क पर अनुशासन का पालन होने के तकनीक का उपयोग
- पालन ना होने पर सख्त से सख्त कानून
चलते-चलते..
सड़क निर्माण से
नये भारत का
निर्माण होगा. अगर गडकरीजी
की माने तो
आने वाले 2-3 सालो
मे भारतीय राजमार्गों
पर घूमने का
अनुभव बहुत अच्छा
होगा.
रोड-ट्रीप
को केंद्रबिंदू रखकर
कई फ़िल्में बनी
है - हिन्दी मे
‘दिल चाहता है’
या ‘Highway.’ हॉलीवुड
मे ‘वाइल्ड Hogs’ या
‘लिटिल मिस सनशाइन’.
और भी काफी
है. कई यादगार
गीत सड़क पर
चित्रित
हुए है.
जाते
जाते गुलज़ार की
कुछ पंक्तिया फिल्म
नमकीन (1981) याद आ
गई, जो किशोर कुमार ने अपनी आवाज से अमर की है ..
“राह पे रहते
हैं
यादों पे बसर
करते हैं
खुश रहो अहल-ए-वतन
हम तो सफर
करते हैं”
राहे और भी है, बस चाह चाहिए. चलते रहिए. सफर कीजिए.
धनंजय मधुकर देशमुख,
मुंबई
(लेखक एक स्वतंत्र मार्केट रिसर्च और बिज़नेस स्ट्रेटेजी एनालिस्ट है. इस पोस्ट मे दी गई कुछ जानकारी और कविता / गीत इन्टरनेट
से साभार इकठ्ठा की गई है).
Gr8
ReplyDelete🙏
Deleteअभ्यासपूर्ण लेख, लेखीन बिजेपी ये बाते लगोको नहि बताति है.अपने अच्छे काम भी लोगोको बताना चाहिये
ReplyDelete🙏 🙏
DeleteA must read for all. Wonderful representation of facts.
Delete