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गाडी बुला रही है....

13 जून 20, मुंबई
गाडी बुला रही है....
कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से मे पूरी दुनिया मे हाहा कार मचा है. लॉकडाऊन की वजह से विमान यात्री सेवा, कुछ जगहों पर बस सेवा ठप्प हो गई है. यात्री रेल सेवाएं भी पहले तीन चरण में काफी हदतक बंद ही थी. दूसरे राज्यों मे कामधंदे की वजह से अटके हुए प्रवासी भारतीयों के अपने गांव जाने के लिए श्रमिक ट्रेन्स शुरू की गई. एक मई से चार जून तक चार हजार दो सौ से ज्यादा श्रमिक ट्रेन चलाई गई है, जिससे करीबन 58 लाख प्रवासियों को अपने गाव मे जाना मुमकिन हुआ.



भारतीय रेल्वे पहले से ही अपनी कार्यक्षमता के लिए जानी जाती है. लेकिन इस कठिन दौर मे भारतीय रेल्वेने (रेल मंत्रालय के साथ, भारतीय रेल्वे उनके सभी अधिकारी, चालक दल, टेक्निकल स्टाफ और रखरखाव करने वाले कर्मचारी) एक परिवार जैसे काम किया. इसमे काफी जद्दोजहद करनी पडी होंगी, विशेषकर जब ईन ट्रेनों की आवाजाही दो चार राज्यों की तरफ अधिक थी. तब इनका पथ संचालन काफी कठिन हुआ होंगा. कई बार मार्ग मे बदल करने पडे होंगे ताकि लोग जल्दी अपने गंतव्य स्थान पर पहुच सके. 


जब कोरोना का फैलाव शुरू हुआ तो भारतीय रेल्वे के अनेक कारखानों ने करीबन साढ़े पाच हजार रेलकोचों को विलगीकरण कक्ष में रूपांतरित किया ताकि उन्हें जहाँ जरूरत हो वहा तुरंत भेजा जा सके. 


रेल्वे हमेशा से राष्ट्र की प्रगति का मानक रही है. रेल्वे की लचीली व्यवस्था और आर्थिक स्वास्थ्य देश की प्रगती दर्शाता है. 


वैसे तो भारत मे रेल की शुरुआत अप्रैल 1853 मे हुई थी, आजादी के बाद देश के अर्थव्यवस्था मे रेल्वे का बड़ा योगदान रहा है. माल की ढुलाई और लोगों की आवाजाही के लिए रेल्वे सबसे किफायती रही है. इस वजह से समाज के हर तबके का रेल्वे से कभी ना कभी संबंध रहा है. 


पिछले 20 सालों में रेल्वे की गति विशेष बढ़ी है. परिवार भी काफी बढ़ा है.  
भारतीय रेलवे में करीबन साढ़े तरह लाख कर्मचारी कार्यरत है. अगर हम एक परिवार में चार सदस्य माने तो करीबन पचास लाख  लोग भारतीय रेलवे से जुड़े है, (न्यूझीलैंड की जनसंख्या करीबन पचास लाख है) कई लाखो लोग इसपर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षरूप से निर्भर है. काफी बड़ा परिवार है भारतीय रेल्वे का !!

अप्रैल 1853

 

से

 
 अब


फिल्म दोस्त (1974), के बहुचर्चित गीत "गाडीbबुला रही, सिटी जा रही है" मे गीतकार आनंद बक्षी ने लिखा था "सीने में आग, लब पर धुवाँ है जानो फिर भी ये जा रही है, नगमें सुना रही है ". उस वक्त कि रेल स्टीम इंजिन पर  चला करती थी. कई जगह नैरो गेज (छोटी रेल) थी. धीरे धीरे, नैरो गेज, ब्रॉड गेज मे तब्दील हुई, उसके बाद स्टीम इंजिन की जगह पर डीज़ल इंजिन आए.


धीरे धीरे रफ्तार और व्यावसायिक अस्तित्व बढ़ने लगा. भारत एक होने लगा. इसके बाद आई इलेक्ट्रिक रेल की बारी. जहां एक ओर नई पटरियां बिछाई जा रही थी, नई तकनीक की सिग्नल प्रणाली लगाई जा रही थी, वही पर रेल इंजिन और ट्रेनों मे भी काफी हुए बदलाव हो रहे थे, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा रही थी.

माल ढुलाई की तरफ विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है. कई जगहों पर डबल डेकर माल गाड़ी चलती है जिससे समय की बचत होती है, कई जगहों पर रोल ईन रोल आउट (RoRo) की तर्ज़ पर ट्रकों को रेल द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है.

रेल का उपयोग सिर्फ माल या यात्रियों के लिए ही नहीं होता यह भारतीय रेल्वे ने हमेशा सिद्ध किया है.
महाराष्ट्र मे 2016 मे आए भयंकर सूखे मे मराठवाड़ा के लातूर जिले मे पानी की गहरी किल्लत हुई थी. भारतीय रेल ने, इसके लिए विशेष "जलदूत" भेजे. साढ़े तीन सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मिरज से करीबन 111 ट्रेने (पचास वैगन प्रति ट्रेन) चलाई गई, जिससे करीबन पौने तीन करोड़ लिटर पानी लातूर पहुंचाया गया.  

जानिए भारतीय रेल्वे को..

आज, भारतीय रेल्वे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल्वे है.
भारतीय रेल्वे मे अठारह विभाग (झोन) है, जिनमे कुल साढ़े बारह लाख कर्मचारी काम करते हैं. इसका नेटवर्क करीबन 125,000 किलोमीटर है. तकरीबन 13200 यात्री ट्रेन और 9100 मालगाड़ी , 7340 स्टेशन पर से रोज सवा दो करोड़ यात्री (सालाना करीब 840 करोड़) की आवाजाही और तीस लाख टन की मालढुलाई रोज करते है.


  • भारतीय रेल्वे की 2019-20 की कमाई लगभग एक लाख पचास हजार करोड़ (USD 22 bn) बताई जाती है, पिछ्ले पाच साल मे यह औसतन 2.75% प्रतिवर्ष बढ़ी है. 
  • करीबन 65-70% मार्ग इलेक्ट्रिक हो चुके है, करीबन 35% तो दोहरे तरीके से प्रचालित हो सकते है (AC/DC). आज करीबन 650 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क विविध शहरो मे फैला है, जो हर साल बढ़ रहा है - अकेले, मुंबई मे यह अगले पाच सालो मे 300 किलोमीटर होगा. 
  • 2024-25 तक सारे मार्गों का विद्युतीकरण और 2030 तक रेल्वे शून्य प्रदूषणकर्ता (zero carbon emission) हो जाए यह लक्ष्य है. 

मेगा प्रोजेक्ट्स
आनेवाले दस सालों मे भारतीय रेल्वे करीबन दस लाख करोड़ रुपये खर्च कर सकती है. इसमे करीबन साढ़े सात लाख टन की नई रेल पटरियों का बिछाना शामिल हैं. हर साल औसतन चार हजार किलोमिटर लाईनो का नवीनीकरण (renewal) होंगा. 2020 से 2030 मे करीबन दस बड़े प्रोजेक्ट लिए जाएंगे जिसमें स्टेशन नवीनीकरण, नई तकनीक, नई पटरियां, उच्चतम सिग्नल प्रणाली, पुलों का सशक्तिकरण या नवीनीकरण इत्यादि कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. एक अनुमान से उसमे करीबन पचास लाख करोड़ रुपये का निवेश जरूरी होगा. 


बड़ा मल्टीप्लायर इफेक्ट (Multiplier Effect) 
समय के साथ बदलाव जरूरी है. इसी को ध्यान में रख कर भारतीय रेल्वे अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने मे जुटी है. "मेक ईन इंडिया " कार्यक्रम के अंतर्गत नई पटरियां, आधुनिक कोच, आधुनिक मेट्रो ट्रेन, सिग्नल प्रणाली और ताक़तवर इंजिन का निर्माण शुरू है. आत्मनिर्भर भारत अभियान मे इसको और चालना मिलेंगी.
 
रेल्वे जैसी मूलभूत सुविधाएं जब बनती है तो उसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव होता है. इसे मल्टीप्लायर इफेक्ट (Multiplier Effect) कहते है. जैसे, अगर रेल्वे इन पायाभूत सुविधाओं पर अगर एक रुपया खर्चा करती है, तो तीन से पाच साल में देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव होता है. 
मॅन्युफॅक्चरिंग इंडेक्स पर उसका 4-5 गुना (upto 5x) तक असर हो सकता है, उतनी ज्यादा पूँजी निर्माण (capital formation) हो सकती है. अंतत: देश के जीडीपी पर इसका सकारात्मक असर होता है.

नई उपलब्धियां
बुलेट ट्रेन
हालांकि यह विषय राजनीतिक दलों के लिए संघर्ष का हो चुका है. भारतीय रेल्वे, जपान सरकार के अगुवाई मे आई हुई जापानी कंपनियों के साथ मिलकर मुंबई अहमदाबाद मार्ग पर बुलेट ट्रेन चलाना चाहती है. इसकी औसतन रफ्तार 160-200 किलोमिटर प्रति घंटा होंगी. करीबन चौबीस ट्रेन के सेट्स बनाए जाएंगे. आनेवाले समय मे इस प्रोजेक्ट की लागत को कम करने के लिए, सरकार, भारत मे ही जापानी शिनचकासेन बुलेट ट्रेन की धरती पर बुलेट ट्रेन बनाएगी और निर्यात करेंगी.

आने वाले समय मे नई दिल्ली से मुंबई का सफर दस घंटों मे हो यह लक्ष्य है. "प्रोजेक्ट रफ्तार" के अंतर्गत काम जोरों से शुरू है.

दुर्गम मार्ग पर भी..
पूर्वोत्तर, जम्मू और कश्मीर और महाराष्ट्र के कोंकण जैसे दुर्गम प्रदेशों की प्रगति मे भारतीय रेल्वे की अहम भूमिका रहने वाली है. इसी की ध्यान मे रखकर भारतीय रेल्वे नए मार्ग बनाने मे कार्यरत है.
 
जैसे, उधमपुर से श्रीनगर मार्ग पर चिनाब नदी पर एक सौ तीस मीटर ऊंचाई का पुल का निर्माण जोरों से शुरू है. इससे ना केवल यात्री और व्यावसायिक माल ढुलाई को बढ़ावा मिलेगा, इसके साथ सेनाओं के लिए युद्ध अस्त्र और सामग्री को दुर्गम स्थलों पर पहुंचाने मे अहम मदत होंगी. 


"लूक ईस्ट (Look East)" संकल्पना के तहत, मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों मे रेल नेटवर्क फैलाने पर विशेष ध्यान दिया है. गत पाच वर्षों मे नई लाईने और मीटर गेज से ब्रॉड गेज मे बदलने को प्राथमिकता दी गई है. यहा का रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर दुगुना करने का लक्ष्य है. 


मालढुलाई को भी प्राधान्यता..
देश की सम्पूर्ण प्रगति मे रेल्वे की अहम भूमिका होती है, विशेषकर प्रभावशाली माल ढुलाई (कच्चा माल या बनी हुई वस्तुए) की. इसी को ध्यान मे रख कर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉर कार्पोरेशन (DFCC) बनाई गई. DFCC ने हाल ही में किशनगंज से रेवाड़ी (राजस्थान) मे 300 किलोमिटर का नया ट्रैक निर्मित किया. जल्द ही इसे बढ़ाया जाएगा. 1500 मीटर (देढ़ किमी) लंबी एक मालगाड़ी लगभग मे तेरह हजार टन माने 1300 ट्रकों का सामान ले जाने की क्षमता रखती है. इससे ईंधन की कि भी काफी बचत होंगी.


दिल्ली से नवीं मुंबई स्थित जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (JNPT) तक पंधरहसौ (1500) किलोमीटर का यह कॉरिडॉर 2021-22 मे पूरा होने की संभावना है. पूरा होने पर रोजाना 120 मालगाड़िया औसतन 75 किमी प्रती घंटा (अब 26 किमी प्रती घंटा) की रफ्तार से दौड़ेगी. इसमे डबल डेकर ट्रेने भी होगी. 

और अधिक ताकतवर.. 
साथ ही मे अधिक ताक़तवर इंजिन बनाए जा रहे है. 

 पिछ्ले साल चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ने 9000 हॉर्स पावर का इंजिन बनाया गया था. 


इस साल 12000 हॉर्स पावर वाला इंजिन बनकर तयार है. 

मेक इन इंडिया योजना के तहत बिहार के मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री (फ्रांस की एल्सटॉम के साथ साझेदारी) में देश का सबसे पावरफुल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन बनाने का काम किया जा रहा है. 12 हजार हार्स पावर के इंजन के साथ इसको तैयार किया जा रहा है, ताकि मालगाड़ियों की रफ्तार को दो गुना किया जा सके. रिपोर्टस के मुताबिक यह इंजन नौ हजार टन तक माल खींचने में सक्षम होगा. 

अगले ग्यारह वर्षो मे इस तरह के करीबन आठ सौ से ऊपर इंजिन बनाएँ जाएंगे. ये शक्तिशाली इंजिन लंबी दूरी की प्रवासी यातायात और माल ढुलाई की दूरी को और रफ़्तार प्रदान करेंगे, और देश की प्रगति मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.




नई ट्रेने
Train 20 (T20) यह एक नई तकनीक से चलने वाली तेज ट्रेन है. आनेवाले समय मे यह राजधानी एक्सप्रेस की जगह लेंगी. तेज ट्रेनों के लिए पटरियां का भी होना जरूरी है. 
आधुनिक तकनीक से सज्ज और हवाई सफर की जैसी सुविधा उपलब्ध कराने की वजह से तेजस ट्रेन काफी लोकप्रिय हुई है. आनेवाले समय मे इनकी क्षमता और मार्ग बढाए जाएंगे.



जर्मन तकनीक से लैस, हल्के, अधिक सुरक्षित और तकनीकी दृष्टी से उन्नत नए LHB (Linke Hoffman Busch) कोच बनाने मे ईंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF) अग्रेसर है. हालांकि और भी सरकारी और निजी कंपनियां इस क्षेत्र में कार्यरत है. 





यात्री अनुभव बढ़ाने के लिए भारतीय रेल्वे ने शिमला-कालका मार्ग पर पिछले वर्ष "हिमदर्शन" नामक सेवा शुरू की. "विस्टाडोम" तकनीक के यात्रियों को ग्लास रूफ (छत) से पहाडियों का विस्तृत नज़ारा देखने को मिलेगा.

भारतीय रेलवे खान - पान एवम् पर्यटन निगम (IRCTC)

भारतीय रेलवे खान - पान एवम् पर्यटन निगम भारतीय रेल का उपविभाग है, जो रेलवे की खान-पान व्यवस्था, पर्यटन और ऑनलाइन टिकट सम्बन्धी गतिविधियों का कार्यभार सम्भालता है।
IRCTC का औसतन 70% कारोबार यात्री टिकटों से होता है. 2018 - 19 मे करीबन पचास करोड़ यात्रीयो ने IRCTC से अपने यात्रा टिकट बुक किए थे, जिससे कंपनी को लगभग 32000 करोड़ से ज्यादा की कमाई हुई. औसतन, साढ़े सात से आठ लाख टिकट प्रति दिन IRCTCA की वेबसाइट या मोबाइल App द्वारा ऑनलाइन बुक किए जाते है.

ये है असली हिरो..
करीबन सवा लाख किलोमीटर लंबी रेलपटरियों और लाखो सिग्नलो का रखरखाव रखने वाले गैंगमेन, किमेन, ट्रैकमेन और हजारो ट्रेनों को अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचाने वाले लोकोंमोटिव पायलट (ड्राईवर) असली हीरो है. रोज ये अपनी भूमिका निभाते है. महिलाएं भी इसमे पीछे नहीं है. भारतीय रेल्वे मे करीबन 7-8% महिलाएं है, इनमे कई लोकोमोटिव पायलट भी है.


क्या आप जानते है?
 
यात्री ट्रेनों के आखिरी कोच के पीछे अक्सर "LV" या "X" लिखा होता है.
इसका मतलब "लास्ट वेहीकल" होता है. इस पर X होता है, और रात मे लाल बत्ती लगाई जाती है. अगर ये ना हो तो समझा जाता है कि ट्रेन अधूरी है, कुछ गडबड है.


ये सफर नहीं आसान..

भारत मे अभी सत्रहवीं लोकसभा कार्यरत है. मात्र आजादी के सत्तर वर्षों मे भारत ने चालीस रेल मंत्री देखे है - श्री पियुष गोयल विद्यमान रेल मंत्री है. इसीसे आप अंदाजा लगा सकते है के भारतीय रेल्वे की जिम्मेदारी कितनी बड़ी है! 


गाडी बुला रही है..
कोरोना महामारी की वजह से ही सकता है पर्यटक विदेश मे कम जाए. इसका फायदा घरेलु पर्यटन उद्योग को होंगा. साफ-सुथरे रेल्वे स्टेशन, ट्रेन अगर साफ सुथरी हो, किफायती दर हो, आसान टिकट बुकिंग हो, तय वक्त पर आनाजाना हो, और तेज दौड़ने वाली हो तो यह काफी मुमकिन है कि भारतीय रेल्वे करोड़ों भारतीयों को भारत भ्रमण का एक उम्दा अनुभव देंगी."एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की संकल्पना को अपनी आँखों से देखने का, और अनुभव करने का मौका सामान्य जनता को मिलेंगा. दुर्गम पर्यटन स्थलों पर फिर एक बार, बहार लौट आएंगी. वहा के व्यापरियों और नागरिकों को समृद्धि का एक मौका मिलेगा.
हर परिवार ने साल मे कम से कम एक बार नए पर्यटन स्थलों  (धार्मिक, सांस्कृतिक, नैसर्गिक) पर जाना चाहिए. भारतीय रेल को अपनाना चाहिए.
कोरोना महामारी संकट की इस घडी मे भारतीय रेल अपनी पूरी शक्ति के सिर्फ खड़ी ही नहीं है, बल्कि पूरे जोर से सरकार के साथ काम कर रही है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारतीय रेल्वे अहम भूमिका निभाएंगी इसमे कोई संदेह नहीं. 


आखिर मे चलते चलते...
 "सुन ये पैगाम, ये है संग्राम, जीवन नहीं है सपना
दरिया को फांद, पवर्त को चीर, काम है ये उसका अपना
नींदें उड़ा रही है, जागो जगा रही है
गाड़ी बुला रही है.. हिम्मत न हार, कर इंतज़ार, आ लौट जाएँ घर को
ये रात जा रही है, वो सुबह आ रही है.
चलना ही ज़िंदगी है, चलती ही जा रही है. गाडी बुला रही है, 
बजा रही है"  
जिन्दगी तो चलते ही जाएगी. चलना ही उसका धर्म है. नियम है. स्वभाव है. हम सब यात्री है. अपना सफर हंसी-खुशी बिताए यही समय की मांग है ! 
 


खुश रहिए!!
धनंजय मधुकर देशमुख, मुंबई
, dhan1011@gmail.com
(इस लेख में सभी आंकड़े व फोटो इंटरनेट से लिए गए है.सभी स्त्रोतों का आभार )

Comments

  1. Nice research. You belong to a rare breed of writers, sir. It's hard to find such valuable write-ups these days in the crowd of cheap crap. Salaam.

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    1. आपका अभिप्राय काफी है, संजय जी. धन्यवाद. 🙏

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  2. Very informative and realistic writeup!

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