शौक बड़ी चीज़ है..
किसी ने कहा है, "शौक बड़ी चीज़ है. उम्र को हराना है तो शौक जिंदा रखिए ".
क्या है शौक? शौक /छंद बोले तो..
1. प्रसन्नता और मनोविनोद के लिए कोई काम बार-बार करने की तीव्र चाह या प्रबल लालसा; आनंददायक कार्य करने की लालसा या अभिरुचि; (हॉबी)
2. किसी कार्य या खेल में विशेष रुचि या प्रवृत्ति, जैसे- शतरंज खेलने का शौक
3. धुन; लय
4. (negative / नकारात्मक) चसका; व्यसन
पिछले हफ्ते पुणे गया था. एक लंबे अर्से के बाद अपने बालमित्र अनुप से मिलने की ठानी. वो कहते हैं ना कि दिल से चाहो तो बात बनती है. बात जम गई. अनुप तुरंत एक घंटे मे मिलने आ पहुंचा. तीस साल बाद मिल रहे थे.
इधर उधर की बाते हुई. पुरानी यादे ताजा हुईं.
अनुप ने फिर उसके शौक के बारे मे बताया. उसी शाम को वो जबलपुर जाने वाला था. खास पुणे से जबलपुर, वह भी एक शौकीन जलसे के लिए. यहां भारतभर से करीबन 90 लोग आने वाले थे - व्यवसायिक और अभिरुचि /हॉबी रखनेवाले. ईन सभीको साथ जोड़ने वाला एक ही धागा था - संगीत, वह भी, खुद से बजा कर वातावरणनिर्मित करने वाला संगीत. क्या था वह धागा? सैक्सोफ़ोन (Saxophone 🎷).
विश्वसैक्सोफोन दिवस पर, 6 नवंबर को जबलपुर मे एक साथ 20 सैक्सोफोन वादक पहली बार अपनी प्रस्तुति देने वाले थे.
क्या है सेक्सोफोन?
यह एक सिंगल ईख, सुषिर काष्ठ वाद्य है जिसे सबसे पहले 1800 के दशक के मध्य में एडोल्फ सेक्स द्वारा विकसित किया गया था. यह एक माउथपीस, शंक्वाकार धातु ट्यूब और उंगली कुंजियों से बना है. ध्वनि तब उत्पन्न होती है जब वायु को यंत्र के माध्यम से फुलाया जाता है, जिससे reed कांप उठती है. इस ध्वनि को ऐम्प्लफाइ किया जाता है, जब यह इंस्ट्रूमेंट के मुख्य बॉडी से होकर जाती है. सैक्सोफोन में कई भाग और टुकड़े होते हैं जो अलग-अलग बनते हैं और फिर इकट्ठे होते हैं.
अधिकांश उपकरणों के साथ, सैक्सोफोन विभिन्न आकारों में आता है जो विभिन्न संगीत श्रेणियों को कवर करते हैं, चरम कम से चरम ऊंचाई तक, लेकिन अधिकांश का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है. इन विविधताओं में सबसे आम हैं soprano saxophone, alto saxophone, tenor saxophone, और baritone saxophone.
सॅक्सोफोन मुख्य रूप से पीतल से बनाए जाते हैं. पीतल- तांबा, टिन, निकल और जस्ता जैसे धातुओं से बना एक मिश्रित मिश्र धातु है. साधनों के लिए सबसे आम प्रकार का उपयोग पीले पीतल का होता है जिसमें 70% तांबा और 30% जस्ता होता है. अन्य प्रकारों में सोने के पीतल और चांदी के पीतल शामिल हैं जिनमें अलग-अलग अनुपात होते हैं. पीतल में जस्ता कम तापमान पर मिश्र धातु को काम करने योग्य बनाता है. कुछ कस्टम निर्माता विभिन्न सेक्सोफोन के भागों के लिए पीतल के विशेष मिश्रणों का उपयोग करते हैं.
इनकी कीमत दस हजार से लेकर आप कितना खर्चा करना चाहते हो इतनी होती है. लेकिन इससे ज़्यादा किमती होता है आपका वक्त और इसे सीखने की लालसा.
हिन्दी फ़िल्मों में सैक्सोफोन..
कहते है भारत में राहुल देव बर्मन के सहयोगी मनोहरी ने इसका आयात किया और निरंतर अभ्यास से इसे साधा. सभी संगीतकारों ने सेक्सोफोन का इस्तेमाल किया है परंतु सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन ने अधिक किया है. शंकर जयकिशन ने भी इसे इस्तेमाल किया है और उनके लोकप्रिय गीत ‘बदन पे सितारे लपेटे हुए जाने तमन्ना किधर रही हो’ तथा ‘आरजू’ के गीत ‘बेदर्दी बालमा’ में जमकर इस्तेमाल हुआ है.
यह सुखद आश्चर्य है कि इंदौर में सैक्सोफोन नामक वाद्य यंत्र के प्रेमियों की एक संस्था है, जो विगत कुछ वर्षों से छह नवंबर को सैक्सोफोन वादन का कार्यक्रम आयोजित करते हैं. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय सैक्सोफोन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
इसी तरह से अहमदाबाद में महेश भाई और उनके साथियों ने ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स सुनने वालों की एक संस्था बनाई है, जो नियमित रूप से सालाना कार्यक्रम करती है.
"सैक्सोफोनीस्ट" अनुप..
जो कलाकार इन्हें बजाता है उसे सैक्सोफोनीस्ट कहते है. अनुप एक उत्तम सैक्सोफोनीस्ट है इसका मुझे बड़ा गर्व है. समय समय पर वह अपनी नई रिकॉर्डिंग मुझे भेजते रहता है. आनंद मिलता है.
अपने व्यस्त कॉर्पोरेट जॉब से वक्त निकालकर अनुप रियाज करता है. सैक्सोफोनर पर पुरानी धुनों को नया रूप देता है. अपने ग्रुप के साथ मित्रपरिवार या जान पहचान के लोगों के कार्यक्रमों में अपनी कला सादर करता है. औरों को आनंदित करता है, खुद भी आनंद पाता है.
जबलपुर के जलसे मे वो अपने रोल मॉडेल से भी मिला. अपने इस शौक को अगले पडाव पर ले जाने के लिए और ज्यादा उत्साहित हुआ.
वो कहते हैं ना..
"शौक पूरे कर लो..
जिन्दगी तो वैसे ही पूरी हो जाएगी एक दिन.."
या फिर
"अपने शौक जिंदा रखिए जनाब.. क्या पता शौक ही आपको जिंदा रखे?".
लेकीन इतना ख्याल जरूर रखे..
"बेशक रखिए शौक ज़माने भर के..
लग ना जाए" लत" बस इतना खयाल रखना"..
शौक और राज रखिए...खुशहाल रहिए. 🙏
धनंजय मधुकर देशमुख
मुम्बई
किसी ने कहा है, "शौक बड़ी चीज़ है. उम्र को हराना है तो शौक जिंदा रखिए ".
क्या है शौक? शौक /छंद बोले तो..
1. प्रसन्नता और मनोविनोद के लिए कोई काम बार-बार करने की तीव्र चाह या प्रबल लालसा; आनंददायक कार्य करने की लालसा या अभिरुचि; (हॉबी)
2. किसी कार्य या खेल में विशेष रुचि या प्रवृत्ति, जैसे- शतरंज खेलने का शौक
3. धुन; लय
4. (negative / नकारात्मक) चसका; व्यसन
पिछले हफ्ते पुणे गया था. एक लंबे अर्से के बाद अपने बालमित्र अनुप से मिलने की ठानी. वो कहते हैं ना कि दिल से चाहो तो बात बनती है. बात जम गई. अनुप तुरंत एक घंटे मे मिलने आ पहुंचा. तीस साल बाद मिल रहे थे.
इधर उधर की बाते हुई. पुरानी यादे ताजा हुईं.
अनुप ने फिर उसके शौक के बारे मे बताया. उसी शाम को वो जबलपुर जाने वाला था. खास पुणे से जबलपुर, वह भी एक शौकीन जलसे के लिए. यहां भारतभर से करीबन 90 लोग आने वाले थे - व्यवसायिक और अभिरुचि /हॉबी रखनेवाले. ईन सभीको साथ जोड़ने वाला एक ही धागा था - संगीत, वह भी, खुद से बजा कर वातावरणनिर्मित करने वाला संगीत. क्या था वह धागा? सैक्सोफ़ोन (Saxophone 🎷).
विश्वसैक्सोफोन दिवस पर, 6 नवंबर को जबलपुर मे एक साथ 20 सैक्सोफोन वादक पहली बार अपनी प्रस्तुति देने वाले थे.
क्या है सेक्सोफोन?
यह एक सिंगल ईख, सुषिर काष्ठ वाद्य है जिसे सबसे पहले 1800 के दशक के मध्य में एडोल्फ सेक्स द्वारा विकसित किया गया था. यह एक माउथपीस, शंक्वाकार धातु ट्यूब और उंगली कुंजियों से बना है. ध्वनि तब उत्पन्न होती है जब वायु को यंत्र के माध्यम से फुलाया जाता है, जिससे reed कांप उठती है. इस ध्वनि को ऐम्प्लफाइ किया जाता है, जब यह इंस्ट्रूमेंट के मुख्य बॉडी से होकर जाती है. सैक्सोफोन में कई भाग और टुकड़े होते हैं जो अलग-अलग बनते हैं और फिर इकट्ठे होते हैं.
अधिकांश उपकरणों के साथ, सैक्सोफोन विभिन्न आकारों में आता है जो विभिन्न संगीत श्रेणियों को कवर करते हैं, चरम कम से चरम ऊंचाई तक, लेकिन अधिकांश का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है. इन विविधताओं में सबसे आम हैं soprano saxophone, alto saxophone, tenor saxophone, और baritone saxophone.
सॅक्सोफोन मुख्य रूप से पीतल से बनाए जाते हैं. पीतल- तांबा, टिन, निकल और जस्ता जैसे धातुओं से बना एक मिश्रित मिश्र धातु है. साधनों के लिए सबसे आम प्रकार का उपयोग पीले पीतल का होता है जिसमें 70% तांबा और 30% जस्ता होता है. अन्य प्रकारों में सोने के पीतल और चांदी के पीतल शामिल हैं जिनमें अलग-अलग अनुपात होते हैं. पीतल में जस्ता कम तापमान पर मिश्र धातु को काम करने योग्य बनाता है. कुछ कस्टम निर्माता विभिन्न सेक्सोफोन के भागों के लिए पीतल के विशेष मिश्रणों का उपयोग करते हैं.
इनकी कीमत दस हजार से लेकर आप कितना खर्चा करना चाहते हो इतनी होती है. लेकिन इससे ज़्यादा किमती होता है आपका वक्त और इसे सीखने की लालसा.
हिन्दी फ़िल्मों में सैक्सोफोन..
कहते है भारत में राहुल देव बर्मन के सहयोगी मनोहरी ने इसका आयात किया और निरंतर अभ्यास से इसे साधा. सभी संगीतकारों ने सेक्सोफोन का इस्तेमाल किया है परंतु सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन ने अधिक किया है. शंकर जयकिशन ने भी इसे इस्तेमाल किया है और उनके लोकप्रिय गीत ‘बदन पे सितारे लपेटे हुए जाने तमन्ना किधर रही हो’ तथा ‘आरजू’ के गीत ‘बेदर्दी बालमा’ में जमकर इस्तेमाल हुआ है.
यह सुखद आश्चर्य है कि इंदौर में सैक्सोफोन नामक वाद्य यंत्र के प्रेमियों की एक संस्था है, जो विगत कुछ वर्षों से छह नवंबर को सैक्सोफोन वादन का कार्यक्रम आयोजित करते हैं. इस दिन को अंतरराष्ट्रीय सैक्सोफोन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
इसी तरह से अहमदाबाद में महेश भाई और उनके साथियों ने ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स सुनने वालों की एक संस्था बनाई है, जो नियमित रूप से सालाना कार्यक्रम करती है.
"सैक्सोफोनीस्ट" अनुप..
जो कलाकार इन्हें बजाता है उसे सैक्सोफोनीस्ट कहते है. अनुप एक उत्तम सैक्सोफोनीस्ट है इसका मुझे बड़ा गर्व है. समय समय पर वह अपनी नई रिकॉर्डिंग मुझे भेजते रहता है. आनंद मिलता है.
अपने व्यस्त कॉर्पोरेट जॉब से वक्त निकालकर अनुप रियाज करता है. सैक्सोफोनर पर पुरानी धुनों को नया रूप देता है. अपने ग्रुप के साथ मित्रपरिवार या जान पहचान के लोगों के कार्यक्रमों में अपनी कला सादर करता है. औरों को आनंदित करता है, खुद भी आनंद पाता है.
जबलपुर के जलसे मे वो अपने रोल मॉडेल से भी मिला. अपने इस शौक को अगले पडाव पर ले जाने के लिए और ज्यादा उत्साहित हुआ.
वो कहते हैं ना..
"शौक पूरे कर लो..
जिन्दगी तो वैसे ही पूरी हो जाएगी एक दिन.."
या फिर
"अपने शौक जिंदा रखिए जनाब.. क्या पता शौक ही आपको जिंदा रखे?".
लेकीन इतना ख्याल जरूर रखे..
"बेशक रखिए शौक ज़माने भर के..
लग ना जाए" लत" बस इतना खयाल रखना"..
शौक और राज रखिए...खुशहाल रहिए. 🙏
धनंजय मधुकर देशमुख
मुम्बई
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